श्री कन्हैयालाल मिश्र ' प्रभाकर ' हिन्दी के पुराने सिद्धहस्त लेखक , चिन्तक और पत्रकार से किसी ने पूछा कि पत्रकारिता का उद्देश्य क्या है ? उन्होंने कहा ----- " मेरे लिए पत्रकारिता का अर्थ सदा यही रहा है कि जनता की दबी पीड़ा और मूक आकांक्षा को वाणी दी जाये --- उस वाणी को बल से भरपूर किया जाये और बुराइयों के झाड़- झंखाड़ में दबी दबाई अच्छाई को उभारा जाये । "
उन्होंने कहा ----- " हमारा काम यह नहीं है कि इस विशाल देश में बसे चन्द दिमागी ऐय्याशों का फालतू समय चैन से काटने के लिए मनोरंजक साहित्य नाम का मयखाना हर समय खुला रहे ।
' हमारा काम यह है कि इस विशाल देश के कोने - कोने में फैले जन साधारण के मन में विश्रंखलित वर्तमान के प्रति विद्रोह और भव्य भविष्य के निर्माण की भूख जगाएं । '
प्रभाकर जी आगे कहते हैं --- जो अबोध हैं , सुप्त हैं उन्हें जगाना ही मुख्य है । हमारा कार्य जनता को जागृत करना और सही द्रष्टिकोण देना है । लोग उसे नापसन्द करेंगे , पर अन्त में सत्य और न्याय ही विजयी होंगे ।
उन्होंने कहा ----- " हमारा काम यह नहीं है कि इस विशाल देश में बसे चन्द दिमागी ऐय्याशों का फालतू समय चैन से काटने के लिए मनोरंजक साहित्य नाम का मयखाना हर समय खुला रहे ।
' हमारा काम यह है कि इस विशाल देश के कोने - कोने में फैले जन साधारण के मन में विश्रंखलित वर्तमान के प्रति विद्रोह और भव्य भविष्य के निर्माण की भूख जगाएं । '
प्रभाकर जी आगे कहते हैं --- जो अबोध हैं , सुप्त हैं उन्हें जगाना ही मुख्य है । हमारा कार्य जनता को जागृत करना और सही द्रष्टिकोण देना है । लोग उसे नापसन्द करेंगे , पर अन्त में सत्य और न्याय ही विजयी होंगे ।
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