सनयात सेन वह व्यक्ति थे जिन्होंने अपने देश चीन के उद्धार के लिए तीस वर्ष तक घोर परिश्रम और आत्मत्याग करके क्रान्ति का मार्ग तैयार किया । उन्होंने इस कार्य में कभी किसी प्रकार का स्वार्थ भाव नहीं रखा और न ही कभी प्राणों का मोह किया । उन्होंने चीन में क्रांति की भावना फैलानेके लिए जितना कष्ट सहन किया है उसका दूसरा उदाहरण मिलना कठिन है ।
उनको आरम्भ से एक ही धुन थी कि किसी प्रकार चीन को जाग्रत और स्वावलम्बी बनाकर संसार के अन्य प्रगतिशील देशों के समकक्ष खड़ा किया जाये । पर जब एक नेता ' युआन शिकाई ' ने यह कहा कि--- सनयात सेन शासन कार्य चला सकने में असमर्थ हैं और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ' , तो इस कथन का प्रतिकार करने के बजे उन्होंने युआन को तार भेजा कि--- " आपके लिए मैं अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हूँ , पर इसके लिए शर्त यह है कि आप राजतन्त्र से सम्बन्ध त्याग कर प्रजातंत्र की शपथ लें और सम्राट पर दबाव डालें कि वह गद्दी छोड़ दे । "
इसके बाद जब सनयात सेन को जब युआन का पत्र मिला जिसमे लिखा था --- " मेरी द्रष्टि में प्रजातंत्र सर्वश्रेष्ठ है , मैं राजतन्त्र के अधिनायक पद से इस्तीफा देता हूँ । '
यह पत्र पढ़कर सनयात सेन को हार्दिक प्रसन्नता हुई क्योंकि उनका लक्ष्य एक मात्र देश की उन्नति था । देश को गृह - युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए उन्होंने यह महान त्याग किया । इससे जनता की श्रद्धा उनके प्रति और बढ़ गई ।
उनको आरम्भ से एक ही धुन थी कि किसी प्रकार चीन को जाग्रत और स्वावलम्बी बनाकर संसार के अन्य प्रगतिशील देशों के समकक्ष खड़ा किया जाये । पर जब एक नेता ' युआन शिकाई ' ने यह कहा कि--- सनयात सेन शासन कार्य चला सकने में असमर्थ हैं और उन्हें अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए ' , तो इस कथन का प्रतिकार करने के बजे उन्होंने युआन को तार भेजा कि--- " आपके लिए मैं अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हूँ , पर इसके लिए शर्त यह है कि आप राजतन्त्र से सम्बन्ध त्याग कर प्रजातंत्र की शपथ लें और सम्राट पर दबाव डालें कि वह गद्दी छोड़ दे । "
इसके बाद जब सनयात सेन को जब युआन का पत्र मिला जिसमे लिखा था --- " मेरी द्रष्टि में प्रजातंत्र सर्वश्रेष्ठ है , मैं राजतन्त्र के अधिनायक पद से इस्तीफा देता हूँ । '
यह पत्र पढ़कर सनयात सेन को हार्दिक प्रसन्नता हुई क्योंकि उनका लक्ष्य एक मात्र देश की उन्नति था । देश को गृह - युद्ध की विभीषिका से बचाने के लिए उन्होंने यह महान त्याग किया । इससे जनता की श्रद्धा उनके प्रति और बढ़ गई ।
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