स्वामी विवेकानन्द विश्व भ्रमण पर थे l वे अपने उपदेशों से भारतीय संस्कृति व धर्म की श्रेष्ठता का शंखनाद कर रहे थे l इसी बीच जापान के एक विद्वान ने उनसे पूछा ----- " भारत में गीता , रामायण , वेद, उपनिषद आदि का इतना उच्च ज्ञान व दर्शन उपलब्ध है , फिर भी भारतवासी पराधीन और निर्धन क्यों बने हुए हैं ? "
इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया ---" सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली बन्दूक होते हुए भी उसके उपयोग की विधि उसका मालिक न जाने तो बन्दूक से वह अपनी रक्षा नहीं कर सकता l यही विडम्बना है कि अपने श्रेष्ठ धर्म और संस्कृति के होते हुए भी भारतवासी तदनुरूप उसका आचरण नहीं करते l धर्म की महत्ता उसके आचरण में निहित है l
इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया ---" सर्वश्रेष्ठ और शक्तिशाली बन्दूक होते हुए भी उसके उपयोग की विधि उसका मालिक न जाने तो बन्दूक से वह अपनी रक्षा नहीं कर सकता l यही विडम्बना है कि अपने श्रेष्ठ धर्म और संस्कृति के होते हुए भी भारतवासी तदनुरूप उसका आचरण नहीं करते l धर्म की महत्ता उसके आचरण में निहित है l
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