युगों पूर्व यक्ष ने युधिष्ठिर से प्रश्न किया था ---- ' संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? '
युधिष्ठिर ने उत्तर दिया ---- " हजारों लोगों को मरते हुए देखकर भी अपनी मृत्यु से अनजान बने रहना , खुद को मृत्यु से मुक्त मान लेना , जीते रहने की लालसा में अनेकों दुष्कर्म करते रहना और इन दुष्कर्मों से स्वयं को संलिप्त न मानना ही सबसे बड़ा आश्चर्य है l "
समय को काल कहा गया है l काल का एक अर्थ मृत्यु भी है l कोई भी उससे बच नहीं पाता l सूफी फकीर शेख सादी का वचन है ----- " बहुत समय पहले दजला के किनारे किसी एक खोपड़ी ने कुछ बातें एक राहगीर से कहीं थीं l " वह बोली थी ----- " ऐ मुसाफिर ! जरा होश में चल l मैं भी कभी भारी दबदबा रखती थी l मेरे ऊपर हीरे , मोती मूंगों जड़ा बेशकीमती ताज था l फतह मेरे पीछे - पीछे चली और मेरे पाँव कभी जमीन पर न पड़ते थे l होश ही न था कि एक दिन सब कुछ खतम हो गया l पल भर में जीवन के सारे सपने विलीन हो गए l यथार्थ से तब रूबरू हुआ और पाया कि कीड़े मुझे खा रहे हैं और आज हर पांव मुझे बेरहम ठोकर मारकर आगे निकल जाता है l तू भी अपने कानों गफलत की रुई निकाल ले , ताकि तुझे मुरदों की आवाज से उठने वाली नसीहत हासिल हो सके l "
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