घटना द्वितीय विश्व युद्ध की है , जिसका वर्णन लोरेन्स ने ' कार्ल जुंग ----- ज्यूरिख के महान संत ' शीर्षक से किया है ------- दक्षिण अफ्रीका के विख्यात अन्वेषक व लेखक लोरेन्स वेन्डर पोस्ट जापान में युद्ध बन्दी रहने के कारण विक्षिप्त मानसिक स्थिति में पहुँच गए थे l उपचार के लिए उन्हें प्रख्यात स्विस प्राध्यापक कार्ल गुस्ताव जुंग के सामने उपस्थित किया गया l वेन्डर पोस्ट के अनुसार , युद्ध बन्दी के समय के एकाकीपन अवाम स्वजनों से बिछोह के कारण उत्पन्न मानसिक आघात से होने वाली बीमारी जुंग से चार - पांच बार हुए वार्तालाप से ही दूर हो गई l उनके अनुसार मन:चिकित्सक होने के अतिरिक्त जुंग का महत्वपूर्ण योगदान मानव मन में निहित धर्म - भावना को समझाने में रहा है l
जुंग की यह दृढ़ मान्यता थी कि, ' मनुष्य की विशेषत: धर्म , नीति , न्याय में अभिरुचि होनी चाहिए l उसके लिए वह सहज वृति है l यदि इस दिशा में प्रगति न हो पाई तो अंततः मनुष्य टूट जाता है l और उसका जीवन निस्सार हो जाता है l '
एक बार एक सार्वजनिक सभा में जुंग से प्रश्न किया गया था ---- ' क्या आप भगवान् को मानते हैं ? ' इसके प्रत्युत्तर में उन्होंने कहा --- " मैं केवल मानता ही नहीं हूँ , मैं सदैव उसको अनुभव करता हूँ l ' उनके निवास स्थान के अग्रभाग में एक वाक्य खुदा हुआ था ---- " बुलाओ या न बुलाओ , ईश्वर अवश्य उपस्थित है l '
विश्व को जुंग की सर्वोत्तम दें है ----- अचेतन मन का विश्लेषण , जो ' कलेक्टेडवर्क्स ' के चार बड़े ग्रन्थों में उपलब्ध है l उन्होंने तीस से अधिक पुस्तकें और सैकड़ों लेख लिखे l ' साइकोलाजी एंड रिलीजन ' उन्ही की देन है l
जुंग की यह दृढ़ मान्यता थी कि, ' मनुष्य की विशेषत: धर्म , नीति , न्याय में अभिरुचि होनी चाहिए l उसके लिए वह सहज वृति है l यदि इस दिशा में प्रगति न हो पाई तो अंततः मनुष्य टूट जाता है l और उसका जीवन निस्सार हो जाता है l '
एक बार एक सार्वजनिक सभा में जुंग से प्रश्न किया गया था ---- ' क्या आप भगवान् को मानते हैं ? ' इसके प्रत्युत्तर में उन्होंने कहा --- " मैं केवल मानता ही नहीं हूँ , मैं सदैव उसको अनुभव करता हूँ l ' उनके निवास स्थान के अग्रभाग में एक वाक्य खुदा हुआ था ---- " बुलाओ या न बुलाओ , ईश्वर अवश्य उपस्थित है l '
विश्व को जुंग की सर्वोत्तम दें है ----- अचेतन मन का विश्लेषण , जो ' कलेक्टेडवर्क्स ' के चार बड़े ग्रन्थों में उपलब्ध है l उन्होंने तीस से अधिक पुस्तकें और सैकड़ों लेख लिखे l ' साइकोलाजी एंड रिलीजन ' उन्ही की देन है l
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