' दुनिया वालों के न्याय में भले ही चूक हो जाये पर ऊपर वाले का न्याय कभी नहीं चूकता l भरोसा रखना चाहिए --- देर भले ही हो , पर जीतती सच्चाई ही है l '
यूनान का राजा फिलिप अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था l वह अपने दरबार में स्वयं ही सारे मुकदमे सुनकर उनका न्याय किया करता था l एक बार राज्य के दो नागरिक उनके सम्मुख अपना मुकदमा लेकर पहुंचे l राजा फिलिप उस दिन बेहद थके हुए थे l जब पहला व्यक्ति अपना पक्ष सुना रहा था तो उन्हें हलकी सी झपकी आ गई l जब उन्हें चैतन्यता आई , तब तक दूसरे पक्ष की बारी आ गई l उन्होंने दूसरे पक्ष के बयान को ही सम्पूर्ण सच मानकर उसी के पक्ष में निर्णय सुना दिया निर्णय सुनने पर पहले पक्ष का व्यक्ति बोला --- " महाराज ! आपका निर्णय न्यायपूर्ण नहीं है l मैं चाहता हूँ कि आप मेरा बयान दुबारा सुने , क्योंकि मेरा बयान सुनते समय आपको नींद आ गई थी मेरा पक्ष सुनने के बाद आप जो भी निर्णय करेंगे वह मुझे स्वीकार होगा l "
उस व्यक्ति का बयान सुनने के बाद राजा फिलिप को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने उसे उस पर लगे आरोपों से बरी कर दिया l इसके बाद वे उससे बोले --- " मैं तुम्हारे साहस से अत्यंत प्रभावित हूँ l तुम्हारे साहस ने ही तुम्हे आज न्याय दिलाया है और मुझे एक गलत निर्णय लेने से बचाया है l हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह राजा को ऐसी गलती करने से रोके , ताकि राजपद कि गरिमा अक्षुण्ण रहे l "
यूनान का राजा फिलिप अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्ध था l वह अपने दरबार में स्वयं ही सारे मुकदमे सुनकर उनका न्याय किया करता था l एक बार राज्य के दो नागरिक उनके सम्मुख अपना मुकदमा लेकर पहुंचे l राजा फिलिप उस दिन बेहद थके हुए थे l जब पहला व्यक्ति अपना पक्ष सुना रहा था तो उन्हें हलकी सी झपकी आ गई l जब उन्हें चैतन्यता आई , तब तक दूसरे पक्ष की बारी आ गई l उन्होंने दूसरे पक्ष के बयान को ही सम्पूर्ण सच मानकर उसी के पक्ष में निर्णय सुना दिया निर्णय सुनने पर पहले पक्ष का व्यक्ति बोला --- " महाराज ! आपका निर्णय न्यायपूर्ण नहीं है l मैं चाहता हूँ कि आप मेरा बयान दुबारा सुने , क्योंकि मेरा बयान सुनते समय आपको नींद आ गई थी मेरा पक्ष सुनने के बाद आप जो भी निर्णय करेंगे वह मुझे स्वीकार होगा l "
उस व्यक्ति का बयान सुनने के बाद राजा फिलिप को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने उसे उस पर लगे आरोपों से बरी कर दिया l इसके बाद वे उससे बोले --- " मैं तुम्हारे साहस से अत्यंत प्रभावित हूँ l तुम्हारे साहस ने ही तुम्हे आज न्याय दिलाया है और मुझे एक गलत निर्णय लेने से बचाया है l हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह राजा को ऐसी गलती करने से रोके , ताकि राजपद कि गरिमा अक्षुण्ण रहे l "
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