निवेदिता का उदय धार्मिक पृष्ठभूमि में हुआ था l उस समय आवश्यकता इस बात कि थी कि पहले भारतीय अपने स्वाभिमान को समझें , उनमे शिक्षा और संस्कृति का विस्तार हो l इसके लिए आवश्यक था कि भारत स्वतंत्र हो l अत: भारतवर्ष को स्वतंत्र कराना ही उस समय उनका प्रमुख उद्देश्य बन गया l उन्होंने राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश किया , स्वतंत्रता - आन्दोलन में भाग लिया l अब वह पूरी तौर से क्रांतिकारी थीं l महर्षि अरविन्द ने कहा था -- वे अग्निस्वरुपा थीं l स्वामी विवेकानन्द ने उन्हें सिंहनी बना दिया था l राष्ट्र निर्माण हेतु भारत की आजादी के समर्थन में वे सतत लिखती रहती थीं l
लार्ड कर्जन जो बंग भंग के लिए जिम्मेदार थे , उन तक शिकायत पहुंची कि बेलूर मठ के रामकृष्ण मिशन का क्रांतिकारियों से सम्बन्ध है l तत्कालीन संचालक मंडल ने निवेदिता से कहा कि लाट साहब का सन्देश आ रहा है कि इस मठ को समाप्त कर देना है ताकि क्रांतिकारियों का गढ़ ही समाप्त हो जाये l तब निवेदिता ने लाटसाहब की पत्नी को समझाया कि यह हमारे गुरु व उनके गुरु का मंदिर है l यहाँ क्रान्तिकारी नहीं हैं , यह तो मनुष्य बनाने का तंत्र है l
बंगभंग आन्दोलन में उनने खुलकर भाग लिया , निवेदिता का निवास स्थान क्रांतिकारियों का आश्रय स्थान बन रहा था , क्रांतिकारियों के कारण मठ की बदनामी न हो , इस कारण अनेक लोग उनसे रुष्ट हो गए थे l पर भगिनी निवेदिता की यह गुरु निष्ठा थी कि उन्ही ने रामकृष्ण मिशन की , अपने गुरु के मंदिर की रक्षा की l वे आंतरिक रूप से योगिनी , साधिका और कल प्रेमी थीं , पर प्रत्यक्ष रूप से एक योद्धा , भारत प्रेमी और भारत की स्वतंत्रता के लिए सतत संघर्ष करने वाली महिला थीं l 44 वर्ष की आयु में शरीर छोड़ दिया , पर वे इतिहास में गुरु - शिष्य परम्परा में अमर हो गईं l
लार्ड कर्जन जो बंग भंग के लिए जिम्मेदार थे , उन तक शिकायत पहुंची कि बेलूर मठ के रामकृष्ण मिशन का क्रांतिकारियों से सम्बन्ध है l तत्कालीन संचालक मंडल ने निवेदिता से कहा कि लाट साहब का सन्देश आ रहा है कि इस मठ को समाप्त कर देना है ताकि क्रांतिकारियों का गढ़ ही समाप्त हो जाये l तब निवेदिता ने लाटसाहब की पत्नी को समझाया कि यह हमारे गुरु व उनके गुरु का मंदिर है l यहाँ क्रान्तिकारी नहीं हैं , यह तो मनुष्य बनाने का तंत्र है l
बंगभंग आन्दोलन में उनने खुलकर भाग लिया , निवेदिता का निवास स्थान क्रांतिकारियों का आश्रय स्थान बन रहा था , क्रांतिकारियों के कारण मठ की बदनामी न हो , इस कारण अनेक लोग उनसे रुष्ट हो गए थे l पर भगिनी निवेदिता की यह गुरु निष्ठा थी कि उन्ही ने रामकृष्ण मिशन की , अपने गुरु के मंदिर की रक्षा की l वे आंतरिक रूप से योगिनी , साधिका और कल प्रेमी थीं , पर प्रत्यक्ष रूप से एक योद्धा , भारत प्रेमी और भारत की स्वतंत्रता के लिए सतत संघर्ष करने वाली महिला थीं l 44 वर्ष की आयु में शरीर छोड़ दिया , पर वे इतिहास में गुरु - शिष्य परम्परा में अमर हो गईं l
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