' स्वार्थी , अनीतिवान तथा कायर व्यक्ति के पास छल - कपट के सिवाय और कोई सम्बल नहीं
होता, उन्हें शत्रुओं की चाटुकारी करने और अपनों को हानि पहुँचाने में
ही सुख - संतोष अनुभव होता है l '
1857 के संग्राम के स्वाधीनता संग्राम के महासेनापति बने तात्या टोपे ने राष्ट्र को एक जुट करने की योजना बनाई और कालपी , ग्वालियर और कानपूर को अपने आधिपत्य में ले लिया l
तात्या अत्यंत थके हुए थे l अंग्रेजों को चकमा देते हुए वे ग्वालियर के पास पाड़ोंन अपने मित्र मानसिंह के पास पहुंचे और कहा मित्र ! हम कुछ समय आपके पास विश्राम करना चाहते हैं l तात्या को निश्चिंतता थी कि वह अपने मित्र के पास सुरक्षित हैं l किन्तु अंग्रेजों द्वारा गिये गए लालच में आकर उसने तात्या के बारे में बता दिया और अंग्रेजों ने उन्हें बन्दी बना लिया
होता, उन्हें शत्रुओं की चाटुकारी करने और अपनों को हानि पहुँचाने में
ही सुख - संतोष अनुभव होता है l '
1857 के संग्राम के स्वाधीनता संग्राम के महासेनापति बने तात्या टोपे ने राष्ट्र को एक जुट करने की योजना बनाई और कालपी , ग्वालियर और कानपूर को अपने आधिपत्य में ले लिया l
तात्या अत्यंत थके हुए थे l अंग्रेजों को चकमा देते हुए वे ग्वालियर के पास पाड़ोंन अपने मित्र मानसिंह के पास पहुंचे और कहा मित्र ! हम कुछ समय आपके पास विश्राम करना चाहते हैं l तात्या को निश्चिंतता थी कि वह अपने मित्र के पास सुरक्षित हैं l किन्तु अंग्रेजों द्वारा गिये गए लालच में आकर उसने तात्या के बारे में बता दिया और अंग्रेजों ने उन्हें बन्दी बना लिया
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