महात्मा गाँधी जैसे विलक्षण , विरले और महान व्यक्तित्व कम ही होते हैं l वे अविस्मरणीय होते हैं l गांधीजी विचार देने से ज्यादा विचारों को जीवन में उतारने के हिमायती थे l
आज पूरे विश्व में आर्थिक विकास ही प्रगति का पैमाना बन गया है , जबकि गांधीजी ऐसे एकतरफा विकास के पक्षधर नहीं थे l वे ऐसी आर्थिक प्रणालियाँ चाहते थे , जो विकास के साथ - साथ मनुष्य को स्वार्थी और धनलोलुप न बनाये l आज दुनिया विकास के नाम पर कितने भी दावे के ले , लेकिन सच्चाई यही है कि पहले के मुकाबले आज भुखमरी और गरीबी बढ़ी है l आंकड़े कुछ भी कहें , लेकिन लोगों के स्वास्थ्य स्तर में कमी आई है l गांधीजी कहते थे ---- " प्रकृति का शोषण मत करो , इनसान कितना भी बड़ा हो जाये , पर वह प्रकृति पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता l "
1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम में देश भर से बड़े - बड़े लोगों को बुलाया गया l गांधीजी को भी इस कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला था l जब गांधीजी के सामने उपस्थित लोगों को संबोधित करने की बारी आई तो उन्होंने कहा ---- " मुझे यहाँ आने में देर लगी , समय पर नहीं पहुँच पाया , क्योंकि शहर की इतनी किलेबंदी की गई थी कि सुरक्षा की वजह से यहाँ पहुँचने में देर लगी l " उन्होंने सवाल उठाया कि यदि देश का वायसराय जो संप्रभु है , उसको अपनी प्रजा से इतना डर लगता है तो इससे अच्छा है कि वे न रहें l
गाँधी प्राय: समस्याओं का व्यवहारिक हल खोजते थे और उनकी यही प्रवृति बाद में देश की आजादी की लड़ाई के दौरान रचनात्मक कार्यक्रमों का हिस्सा बनी l
आज पूरे विश्व में आर्थिक विकास ही प्रगति का पैमाना बन गया है , जबकि गांधीजी ऐसे एकतरफा विकास के पक्षधर नहीं थे l वे ऐसी आर्थिक प्रणालियाँ चाहते थे , जो विकास के साथ - साथ मनुष्य को स्वार्थी और धनलोलुप न बनाये l आज दुनिया विकास के नाम पर कितने भी दावे के ले , लेकिन सच्चाई यही है कि पहले के मुकाबले आज भुखमरी और गरीबी बढ़ी है l आंकड़े कुछ भी कहें , लेकिन लोगों के स्वास्थ्य स्तर में कमी आई है l गांधीजी कहते थे ---- " प्रकृति का शोषण मत करो , इनसान कितना भी बड़ा हो जाये , पर वह प्रकृति पर विजय प्राप्त नहीं कर सकता l "
1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के शिलान्यास कार्यक्रम में देश भर से बड़े - बड़े लोगों को बुलाया गया l गांधीजी को भी इस कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता मिला था l जब गांधीजी के सामने उपस्थित लोगों को संबोधित करने की बारी आई तो उन्होंने कहा ---- " मुझे यहाँ आने में देर लगी , समय पर नहीं पहुँच पाया , क्योंकि शहर की इतनी किलेबंदी की गई थी कि सुरक्षा की वजह से यहाँ पहुँचने में देर लगी l " उन्होंने सवाल उठाया कि यदि देश का वायसराय जो संप्रभु है , उसको अपनी प्रजा से इतना डर लगता है तो इससे अच्छा है कि वे न रहें l
गाँधी प्राय: समस्याओं का व्यवहारिक हल खोजते थे और उनकी यही प्रवृति बाद में देश की आजादी की लड़ाई के दौरान रचनात्मक कार्यक्रमों का हिस्सा बनी l
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