राजनीति के चतुर खिलाड़ी सिकंदर ने भारत में प्रवेश के लिए तलवार की अपेक्षा भारतीयों में फैली फूट का फायदा उठाया l
मनुष्य की संकीर्ण स्वार्थपरता सामूहिक जीवन के लिए सदा ही घातक रही है l भारत के प्रवेश द्वार पर , एकमात्र प्रहरी के रूप में केवल महाराज पुरु थे l स्वार्थ के वशीभूत होकर अन्य राजाओं ने उनका साथ नहीं दिया l कहते हैं --- जब कोई पापी किसी मर्यादा की रेखा उल्लंघन कर उदाहरण बन जाता है , तब अनेकों को उसका उल्लंघन करने में अधिक संकोच नहीं रहता l
तक्षशिला का राजा आम्भीक सिकंदर द्वारा भेजी गई पचास लाख रूपये की भेंट और पुरस्कार के लालच में बिक गया और उसने सिकंदर से मित्रता कर ली l आम्भीक की देखा - देखी अभिसार नरेश भी सिकंदर से जा मिला , अनेक अन्य राजा भी सिकंदर से जा मिले l
अनेक देशद्रोहियों के लाख कुत्सित प्रयत्नों के बावजूद एक अकेले देशभक्त महाराज पुरु ने भारतीय गौरव की लाज रखी l भारतीय इतिहास में महाराज पुरु का बहुत सम्मान है , जो सिकंदर के आगे कभी झुके नहीं और पराजित होने पर भी विजयी को पीछे हटने पर विवश कर दिया l
मनुष्य की संकीर्ण स्वार्थपरता सामूहिक जीवन के लिए सदा ही घातक रही है l भारत के प्रवेश द्वार पर , एकमात्र प्रहरी के रूप में केवल महाराज पुरु थे l स्वार्थ के वशीभूत होकर अन्य राजाओं ने उनका साथ नहीं दिया l कहते हैं --- जब कोई पापी किसी मर्यादा की रेखा उल्लंघन कर उदाहरण बन जाता है , तब अनेकों को उसका उल्लंघन करने में अधिक संकोच नहीं रहता l
तक्षशिला का राजा आम्भीक सिकंदर द्वारा भेजी गई पचास लाख रूपये की भेंट और पुरस्कार के लालच में बिक गया और उसने सिकंदर से मित्रता कर ली l आम्भीक की देखा - देखी अभिसार नरेश भी सिकंदर से जा मिला , अनेक अन्य राजा भी सिकंदर से जा मिले l
अनेक देशद्रोहियों के लाख कुत्सित प्रयत्नों के बावजूद एक अकेले देशभक्त महाराज पुरु ने भारतीय गौरव की लाज रखी l भारतीय इतिहास में महाराज पुरु का बहुत सम्मान है , जो सिकंदर के आगे कभी झुके नहीं और पराजित होने पर भी विजयी को पीछे हटने पर विवश कर दिया l
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