कैकेयी मंथरा के बहकावे में आ गई और भरत को राज्य तथा राम को वनवास मांग बैठी l दशरथ जी ने शरीर त्याग दिया , कौशल्या पर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा परन्तु एनी माताओं के सम्मान का उन्हें पूरा ध्यान था l राजा जनक ने सुना कि जानकी भी साथ गईं हैं l उन्होंने दूतों द्वारा सही स्थिति का पता लगाया और भरत का समर्थन करने चित्रकूट पहुँच गये l भरत के कारण राम - सीता को वनवास हुआ , इस नाते उनको अपमानित करने का भूलकर भी प्रयास नहीं किया l ऐसे एक दूसरे के सम्मान के भाव ने विकट परिस्थितियों में भी अयोध्या का संतुलन बनाये रखा l भूल सिर्फ भूल रह गई , उससे परस्पर स्नेह और पारिवारिक सद्भाव में कोई फर्क नहीं पड़ा l
इसके विपरीत महाभारत एक - दूसरे को सम्मान न दे पाने की भीषण प्रतिक्रिया के रूप में उभरा था --- बचपन में दुर्योधन राजमद में पांडवों सम्मान न दे सका l भीम सहज प्रतिक्रिया के रूप में अपने बल का उपयोग कर के उन्हें अपमानित करने लगे l द्रोपदी सहज परिहास में भूल गई कि दुर्योधन को ' अंधों के अंधे ' संबोधन से अपमान का अनुभव हो सकता है l
दुर्योधन ईर्ष्या - द्वेष वश नारी के शील का महत्व ही भूल गया तथा द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित करने पर उतारू हो गया l
यही सब कारण जुड़ते गए तथा छोटी - छोटी शिष्टाचार की त्रुटियों की चिनगारियां भीषण ज्वाला बन गईं, महाभारत हो गया l
यदि परस्पर सम्मान का ध्यान रखा जा सका होता , अशिष्टता पर अंकुश रखा गया होता तो स्नेह बनाये रखने में कोई कठिनाई नहीं होती l छल - कपट और षड्यंत्रों में वक्त बरबाद न होता , भीष्म पितामह और श्रीकृष्ण जैसे युग - पुरुषों के प्रभाव का लाभ मिल जाता l
इसके विपरीत महाभारत एक - दूसरे को सम्मान न दे पाने की भीषण प्रतिक्रिया के रूप में उभरा था --- बचपन में दुर्योधन राजमद में पांडवों सम्मान न दे सका l भीम सहज प्रतिक्रिया के रूप में अपने बल का उपयोग कर के उन्हें अपमानित करने लगे l द्रोपदी सहज परिहास में भूल गई कि दुर्योधन को ' अंधों के अंधे ' संबोधन से अपमान का अनुभव हो सकता है l
दुर्योधन ईर्ष्या - द्वेष वश नारी के शील का महत्व ही भूल गया तथा द्रोपदी को भरी सभा में अपमानित करने पर उतारू हो गया l
यही सब कारण जुड़ते गए तथा छोटी - छोटी शिष्टाचार की त्रुटियों की चिनगारियां भीषण ज्वाला बन गईं, महाभारत हो गया l
यदि परस्पर सम्मान का ध्यान रखा जा सका होता , अशिष्टता पर अंकुश रखा गया होता तो स्नेह बनाये रखने में कोई कठिनाई नहीं होती l छल - कपट और षड्यंत्रों में वक्त बरबाद न होता , भीष्म पितामह और श्रीकृष्ण जैसे युग - पुरुषों के प्रभाव का लाभ मिल जाता l
No comments:
Post a Comment