क्रोध एक ऐसा विष है जो चिंतन और व्यक्तित्व को विषाक्तता में बदल देता है l क्रोध का पहला प्रहार विवेक पर और दूसरा प्रहार होश पर होता है l इसलिए कठिन कार्यों , संकट के समय और अपमान होने पर धैर्य धारण करने की सलाह दी जाती है l यदि किसी व्यक्ति को गुस्सा आता है तो तुरंत अपनी प्रतिक्रिया न दें , बल्कि गुस्सा शांत हो जाने के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त करें क्योंकि आवेश में दी गई प्रतिक्रिया से गुस्सा और बढ़ सकता है l
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