' किसी को ईश्वर सम्पदा , विभूति अथवा सामर्थ्य देता है तो निश्चित रूप से उसके साथ कोई न कोई सदप्रयोजन जुड़ा होता है l मनुष्य को समझना चाहिए कि वह विशेष अनुदान उसे किसी समाज उपयोगी कार्य के लिए ही मिला है l जो अपनी शक्ति का सदुपयोग करता है , दुर्बल और पीड़ित व्यक्ति की आततायी से रक्षा करने के साथ ही अत्याचारी और अन्यायी को कठोर दंड देने व्यवस्था करता है तो यह निष्ठा उसके व्यक्तित्व में चार चाँद लगा देती है l '
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