' चरित्र मनुष्य की श्रेष्ठता का बहुत बड़ा प्रमाण है , सच्चाई , ईमानदारी , नैतिकता आदि भी चरित्र के ही अंग हैं l ' उनके चरित्र लेखक वैशम्पायन ने लिखा है --- ' आजाद के जीवन का सबसे बड़ा संबल था उनका चरित्र l इसको उन्होंने सदा महत्व दिया l और इस धारणा पर जीवन के अंत तक द्रढ़ रहे l ' एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है --- ' जिन दिनों आजाद रेलवे लाइन की गुमटी पर रहते थे , उनके सामने भीषण आर्थिक संकट था , कई दिन केवल एक समय चना खाकर गुजारा कर लेते थे l एक दिन उनके पास केवल एक आना था , दूसरे दिन की चिंता थी लेकिन आज की भूख की समस्या हल करने के लिए एक आने के चने ले आये l खाते - खाते जब आखिरी मुट्ठी भरी तो देखा उसमे इकन्नी थी l उन्हें ध्यान आया कि यह उस गरीब चने वाले की गाढ़ी कमाई का हिस्सा है इस पर मेरा कोई अधिकार नहीं है l तुरंत गए और दुकानदार को यह कहकर इकन्नी लौटा दी कि तुमने मुझे जो चने दिए उसमे यह इकन्नी आ गई थी l कल की भूख प्रश्न चिन्ह बनी रही l '
वैशम्पायन ने एक और घटना का उल्लेख किया है ---- ' एक बार आजाद को किसी को मारने के लिए उनके दल के लिए बहुत अधिक धन का लालच दिया गया , तब आजाद ने उनको स्पष्ट शब्दों में समझाया कि--- ' ऐसा करना अनुचित है l देश की स्वतंत्रता के महान लक्ष्य को सामने रखकर मजबूरी में किसी को मारना और बात है और जानबूझ कर हत्या करना दूसरी बात है l हमारा क्रांतिकारियों का दल है , हत्यारों का नहीं l पास में पैसे हों या न हों , हम भूखे रहकर फांसी पर भले ही लटक जाएँ , पर पैसे के लिए ऐसा घ्रणित कार्य नहीं कर सकते l यह सब हमारे सिद्धांतों के प्रतिकूल है l '
आजाद मानवता में बड़ी श्रद्धा रखते थे और अकारण मानव - रक्त बहाना निंदनीय समझते थे l केवल राष्ट्रोद्धार के महान आदर्श के लिए ही वे ऐसा कोई काम करने को तैयार होते थे l
वैशम्पायन ने एक और घटना का उल्लेख किया है ---- ' एक बार आजाद को किसी को मारने के लिए उनके दल के लिए बहुत अधिक धन का लालच दिया गया , तब आजाद ने उनको स्पष्ट शब्दों में समझाया कि--- ' ऐसा करना अनुचित है l देश की स्वतंत्रता के महान लक्ष्य को सामने रखकर मजबूरी में किसी को मारना और बात है और जानबूझ कर हत्या करना दूसरी बात है l हमारा क्रांतिकारियों का दल है , हत्यारों का नहीं l पास में पैसे हों या न हों , हम भूखे रहकर फांसी पर भले ही लटक जाएँ , पर पैसे के लिए ऐसा घ्रणित कार्य नहीं कर सकते l यह सब हमारे सिद्धांतों के प्रतिकूल है l '
आजाद मानवता में बड़ी श्रद्धा रखते थे और अकारण मानव - रक्त बहाना निंदनीय समझते थे l केवल राष्ट्रोद्धार के महान आदर्श के लिए ही वे ऐसा कोई काम करने को तैयार होते थे l
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