रामकृष्ण परमहंस परस्पर चर्चा में शिष्यों को बता रहे थे कि----- मनुष्यों में कुछ देवता पाए जाते हैं , शेष तो नर पिशाच ही होते हैं l
नरेंद्र ने पूछा ---- भला इन नर पिशाचों और मनुष्य तथा देवताओं की पहचान क्या है ?
परमहंस ने कहा ----- वे मनुष्य देवता है जो दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए स्वयं हानि उठाने के लिए तैयार रहते हैं , मनुष्य वे हैं जो अपना भी भला करते हैं और दूसरों का भी l
नरपिशाच वे हैं जो दूसरों की हानि ही सोचते हैं और करते हैं , भले ही इस प्रयास में उन्हें स्वयं ही हानि सहनी पड़े l
नरेंद्र ने पूछा ---- भला इन नर पिशाचों और मनुष्य तथा देवताओं की पहचान क्या है ?
परमहंस ने कहा ----- वे मनुष्य देवता है जो दूसरों को लाभ पहुँचाने के लिए स्वयं हानि उठाने के लिए तैयार रहते हैं , मनुष्य वे हैं जो अपना भी भला करते हैं और दूसरों का भी l
नरपिशाच वे हैं जो दूसरों की हानि ही सोचते हैं और करते हैं , भले ही इस प्रयास में उन्हें स्वयं ही हानि सहनी पड़े l
No comments:
Post a Comment