यह सत्य भी समय और परिस्थिति को देखते हुए ही बोलने का निर्देश दिया गया है l जैसे यदि देश के रक्षक गोपनीय सूचनाओं को शत्रुओं के समक्ष प्रकट कर दें , तो इससे राष्ट्र की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जायेगा , अत: ऐसे सत्य को न प्रकट करना ही सबके हित में है l
एक कथा है ----- एक बार एक कसाई अपनी बूढ़ी गाय को ढूंढते हुए एक संत के आश्रम में पहुंचा और गाय के बारे में पूछा l संत ने वास्तु स्थिति को भांप लिया कई यह कसाई है , अत: गोलमाल उत्तर दिया --- कहा --- ' जिसने देखा वह बोलती नहीं और जो बोलती है , उसने देखा नहीं l ' इससे एक साथ दो प्रयोजन हो गए l गाय की प्राण रक्षा भी हो गई और झूठ न बोलने के संकल्प का भी निर्वाह हो गया l
ऐसे ही कठोर सत्य को न बोलने के निर्देश दिए गए हैं l
एक कथा है ----- एक बार एक कसाई अपनी बूढ़ी गाय को ढूंढते हुए एक संत के आश्रम में पहुंचा और गाय के बारे में पूछा l संत ने वास्तु स्थिति को भांप लिया कई यह कसाई है , अत: गोलमाल उत्तर दिया --- कहा --- ' जिसने देखा वह बोलती नहीं और जो बोलती है , उसने देखा नहीं l ' इससे एक साथ दो प्रयोजन हो गए l गाय की प्राण रक्षा भी हो गई और झूठ न बोलने के संकल्प का भी निर्वाह हो गया l
ऐसे ही कठोर सत्य को न बोलने के निर्देश दिए गए हैं l
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