पं. श्रीराम शर्मा आचार्य कहते हैं कि मनुष्य के जीवन का लक्ष्य एक ही हो सकता है , दो दिशाओं में निर्धारित नहीं हो सकता है l यदि हमारे जीवन का लक्ष्य अपनी सब इच्छाएं पूरी करना और ऐशोआराम के साधन जुटाना है तब --- पूजा -पाठ , सेवा और लोक कल्याण के कार्य मात्र दिखावा हो जायेंगे l जो जीवन को एक उद्देश्य के साथ जीते हैं , वे इसे संवारते हैं और मानवीय जीवन की गौरव - गरिमा के साथ न्याय कर पाते हैं l
एक बार नारदजी धरती पर भ्रमण कर रहे थे , उनकी भेंट साधुओं की एक जमात से हो गई l उन्होंने नारदजी को घेर लिया और बोले -----" स्वर्ग में तुम अकेले ही मौज करते हो l हम सबके लिए वैसे ही राजसी ठाठ जुटाओ , नहीं तो नारद बाबा चिमटे से मार - मार कर तुम्हारा भूसा बना देंगे नारदजी घबरा कर भगवान के पास आये और उन्हें सारी घटना सुनाई l यह सुन कर भगवान को बहुत क्रोध आया l भगवान ने कहा कि उस साधु मंडली से कहना कि --- " त्यागी और परमार्थी का वेश बनाकर ऐसी प्रवंचना असह्य है l समाज में लोगों की भावनाओं को छलोगे , धर्म के नाम पर आडम्बर और छल - कपट करोगे तो नरक में अनंत काल तक पड़े रहोगे l "
एक बार नारदजी धरती पर भ्रमण कर रहे थे , उनकी भेंट साधुओं की एक जमात से हो गई l उन्होंने नारदजी को घेर लिया और बोले -----" स्वर्ग में तुम अकेले ही मौज करते हो l हम सबके लिए वैसे ही राजसी ठाठ जुटाओ , नहीं तो नारद बाबा चिमटे से मार - मार कर तुम्हारा भूसा बना देंगे नारदजी घबरा कर भगवान के पास आये और उन्हें सारी घटना सुनाई l यह सुन कर भगवान को बहुत क्रोध आया l भगवान ने कहा कि उस साधु मंडली से कहना कि --- " त्यागी और परमार्थी का वेश बनाकर ऐसी प्रवंचना असह्य है l समाज में लोगों की भावनाओं को छलोगे , धर्म के नाम पर आडम्बर और छल - कपट करोगे तो नरक में अनंत काल तक पड़े रहोगे l "
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