धर्म और जाति के नाम पर होने वाले झगडे इस बात को स्पष्ट करते हैं कि मनुष्य अभी भी असभ्य है या लालच , स्वार्थ और दूसरों पर हुकूमत चलाने का नशा सिर पर इतना हावी हो गया है कि सोचने - समझने की शक्ति समाप्त हो गई l अंग्रेजों ने हिन्दू , मुसलमान दोनों को ही अपना गुलाम बनाया , हुकूमत की l अब दुर्बुद्धि ऐसी है कि अंग्रेजों को आदर्श मानते हैं और आपस में लड़ते हैं l प्रत्येक व्यक्ति अपने घर - परिवार और बच्चों की सुरक्षा चाहता है , लड़ना कोई नहीं चाहता l लेकिन फिर भी झगड़े होते हैं , समाज को अशांत करने वाली घटनाएँ होती हैं l इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब करना , अपराधिक कार्य करना भी रोजगार का साधन बन गया है l
समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो शराफत का नकाब ओढ़कर स्वयं को बहुत सभ्य और सुसंस्कृत दिखाना चाहता है लेकिन अपने भीतर की कालिमा , ईर्ष्या , द्वेष , स्वार्थ , लालच के कारण वह ऐसे गैरकानूनी रोजगार का निर्माण कर देता है l
समाज में एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो शराफत का नकाब ओढ़कर स्वयं को बहुत सभ्य और सुसंस्कृत दिखाना चाहता है लेकिन अपने भीतर की कालिमा , ईर्ष्या , द्वेष , स्वार्थ , लालच के कारण वह ऐसे गैरकानूनी रोजगार का निर्माण कर देता है l
No comments:
Post a Comment