' दुर्गा सप्तशती ' में कथानक के रूप में इस बात का उल्लेख है कि काम वासना को नष्ट नहीं किया जा सकता परन्तु इसका रूपांतरण संभव है और भक्ति ही वासना का दिव्य रूपांतरण है l ----- माँ दुर्गा सभी दैत्यों को मार गिराती हैं , परन्तु महिषासुर ही एक ऐसा दैत्य है जो मरता नहीं है , माता के चरणों में शरणागति को प्राप्त करता है l यहाँ महिषासुर काम वासना का प्रतीक है , जो मरा नहीं बल्कि माँ के चरणों में , माँ की शरण में जाकर भक्ति के रूप में रूपांतरित हो जाता है l
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