क्रोध हर व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है l जैसे दूध उबलने पर उसकी मलाई बर्तन से बाहर गिर जाती है , ठीक इसी तरह क्रोध की अवस्था में हम अपनी ऊर्जा को अन्य परिस्थितियों की तुलना में अधिक गंवाते हैं l
भगवान बुद्ध अपने शिष्यों को क्रोध न कर के शांत रहने का पाठ पढ़ाते थे l एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे थे l शिष्य चिंतित थे कि इस तरह मौन रहने की क्या वजह है ? थोड़ी देर बाद कुछ दूर पर खड़ा एक व्यक्ति जोर से चिल्लाया --- " आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई ? " इससे अप्रभावित भगवान बुद्ध मौन बैठे रहे l वह व्यक्ति पुन: जोर से चिल्लाया l एक शिष्य ने उसका पक्ष लेते हुए कहा कि उसे सभा में आने की अनुमति प्रदान की जाये l बुद्ध ने आँखें खोली और बोले ---- " नहीं , वह अस्पृश्य है , उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती l " शिष्यों को बड़ा आश्चर्य हुआ , वे बोले --- " पर हमारे धर्म में जात -पांत का कोई भेद नहीं फिर वह अस्पृश्य कैसे हो गया ? "
बुद्ध ने स्पष्ट किया ---- " आज वह क्रोधित होकर आया है l क्रोधी व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है , इसलिए वह अस्पृश्य होता है l उसे कुछ समय एकांत में ही खड़ा रहना चाहिए l पश्चाताप की अग्नि में तपकर वह समझ लेगा कि अहिंसा ही महान कर्तव्य और धर्म है l "
शिष्यों ने एक नया पाठ सीखा और उस व्यक्ति ने क्रोध न करने की शपथ ली l
भगवान बुद्ध अपने शिष्यों को क्रोध न कर के शांत रहने का पाठ पढ़ाते थे l एक बार गौतम बुद्ध अपने शिष्यों के साथ एकदम शांत बैठे थे l शिष्य चिंतित थे कि इस तरह मौन रहने की क्या वजह है ? थोड़ी देर बाद कुछ दूर पर खड़ा एक व्यक्ति जोर से चिल्लाया --- " आज मुझे सभा में बैठने की अनुमति क्यों नहीं दी गई ? " इससे अप्रभावित भगवान बुद्ध मौन बैठे रहे l वह व्यक्ति पुन: जोर से चिल्लाया l एक शिष्य ने उसका पक्ष लेते हुए कहा कि उसे सभा में आने की अनुमति प्रदान की जाये l बुद्ध ने आँखें खोली और बोले ---- " नहीं , वह अस्पृश्य है , उसे आज्ञा नहीं दी जा सकती l " शिष्यों को बड़ा आश्चर्य हुआ , वे बोले --- " पर हमारे धर्म में जात -पांत का कोई भेद नहीं फिर वह अस्पृश्य कैसे हो गया ? "
बुद्ध ने स्पष्ट किया ---- " आज वह क्रोधित होकर आया है l क्रोधी व्यक्ति मानसिक हिंसा करता है , इसलिए वह अस्पृश्य होता है l उसे कुछ समय एकांत में ही खड़ा रहना चाहिए l पश्चाताप की अग्नि में तपकर वह समझ लेगा कि अहिंसा ही महान कर्तव्य और धर्म है l "
शिष्यों ने एक नया पाठ सीखा और उस व्यक्ति ने क्रोध न करने की शपथ ली l
No comments:
Post a Comment