एक राजा पंडितों , विद्वानों से प्रश्न पूछता था कि संसार में सबसे बड़ा कर्तव्य क्या है ? विद्वानों के उत्तर से राजा संतुष्ट नहीं हो सका l एक दिन राजा शिकार के लिए जंगल गया और शिकार का पीछा करते - करते रास्ता भटक गया l खोज करने पर एक आश्रम दिखाई दिया , जहाँ एक संत ध्यानस्थ थे l राजा प्यास से बेहाल था , संत को पुकारते हुए बेहोश हो गया l होश आने पर राजा ने देखा कि संत उसके मुंह पर पानी के छींटे मार रहे थे l राजा ने विनम्रता से कहा --- " भगवन ! आप तो समाधि में लीन थे l आपने मेरे लिए समाधि क्यों भंग की l " संत ने राजा से कहा ---- " राजन ! आपके प्राण संकट में थे l ऐसे समय मेरे लिए ध्यान की अपेक्षा आपकी सहायता के लिए तत्पर होना ज्यादा महत्वपूर्ण कार्य था l समय और परिस्थिति को देखते हुए ही कर्तव्य का निर्धारण करना चाहिए l " संत के इस कथन से राजा को अपने प्रश्न का उत्तर भी मिल गया कि सर्वोपरि कर्तव्य का निर्णय परिस्थिति को देखकर ही किया जा सकता है l
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