आचार्य जी का मत है कि अहंकारी व्यक्ति संवेदनहीन होता है , वह किसी की पीड़ा को महसूस नहीं कर सकता l अहंकार आतंक को जन्म देता है , आत्मीयता को नहीं l इसलिए अहंकारी को लोग ह्रदय से नहीं चाहते l
समाज में सुख - शान्ति, खुशहाली तभी होगी जब लोग संवेदनशील होगे l समर्थ और संपन्न व्यक्ति लोगों के कष्ट और पीड़ा निवारण का ह्रदय से प्रयास करेंगे l भेदभाव , नफरत , हिंसा , आदि नकारात्मक भावनाओं को उपेक्षित कर संवेदना और सद्गुणों को महत्व देने से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है l
समाज में सुख - शान्ति, खुशहाली तभी होगी जब लोग संवेदनशील होगे l समर्थ और संपन्न व्यक्ति लोगों के कष्ट और पीड़ा निवारण का ह्रदय से प्रयास करेंगे l भेदभाव , नफरत , हिंसा , आदि नकारात्मक भावनाओं को उपेक्षित कर संवेदना और सद्गुणों को महत्व देने से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है l
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