छत्रपति शिवाजी के दक्षिण में विस्तार , उनकी वीरता और साहस से अनेक ईर्ष्या करते थे और हिन्दुस्तान का बादशाह औरंगजेब इसे दिल्ली पर खतरा समझता था l उसने भी उन्हें बंदी बनाने का षडयंत्र रचा l --- जिनके संस्कार विकृत होते हैं उन्हें शत्रुओं की चाटुकारी करने और अपनों को हानि पहुँचाने में ही सुख - संतोष अनुभव होता है , वे अपने स्वार्थ के लिए शत्रुओं के प्रति वफादार रहते हैं , लेकिन अपने देश व समाज के लिए नहीं रह पाते l जयसिंह नाम का हिन्दू राजा औरंगजेब का दूत बनकर शिवाजी के पास आया l जयसिंह ने शिवाजी को विश्वास दिलाया कि यदि वह उनके साथ चलकर औरंगजेब से मिल लें तो वे उनको उससे जीते हुए इलाके और दरबार में ऊँचा पद दिलवा देंगे l शिवाजी ने अपने विशाल मंतव्य के लिए इसे एक अच्छा अवसर समझा और जयसिंह की बातों पर विश्वास कर लिया l सतर्कता में थोड़ा सा असावधान होते ही शिवाजी धोखा खा गए और आगरे में बंदी बना लिए गए l लेकिन अपनी सूझ - बूझ और साहस के बल पर फलों की टोकरी में बैठकर कैद से बाहर निकल आये और पूना जा पहुंचे l
शिवाजी की अनुपम सफलता का एकमात्र कारण उनकी समयानुकूल कार्य प्रणाली और परिस्थितियों के अनुसार चलने का गुण था l
शिवाजी की अनुपम सफलता का एकमात्र कारण उनकी समयानुकूल कार्य प्रणाली और परिस्थितियों के अनुसार चलने का गुण था l
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