मनुष्य अपना जीवन लालच और तृष्णा में , धन एकत्र करने में गँवा देता है l ईश्वर का नाम लेने , सत्साहित्य का अध्ययन करने और परोपकार करने के लिए उसके पास समय नहीं होता l ऐसी तृष्णा से व्यक्ति की कैसी गति होती है उसे समझाने के लिए एक पौराणिक कथा है -----
एक आदमी बूढ़ा हुआ तो नारदजी उसके पास आये और उससे कहा कि भगवान को याद कर लो ! इतना समय ऐसे ही बीत गया l बूढ़े ने कहा --- " व्यापार ठिकाने लग जाये , बच्चे संभल जाएँ , नाती - पोते देख लें फिर भगवान को याद करेंगे l "" मृत्यु आई और वह चल बसा l कंजूस था , परोपकार किया नहीं , बैल की तरह श्रम किया तो अगले जन्म में बैल बना l मोह के कारण अपने बच्चों की जमीन पर ही खूब काम करता l नारदजी ने समझाया -- भगवान को याद कर लो , इस बैल की योनि से मुक्त हो जाओगे l वह बोला --- बच्चों के लिए ही तो काम कर रहे हैं l
अब मरे तो कुत्ते की योनि मिली l अब भी बेटों के यहाँ गए l घर की रक्षा करते l नारदजी फिर गए और कहा -- तुम्हे मोह से कब मुक्ति मिलेगी , अब तो भगवान को याद कर लो l कुत्ता बोला -- नाती - पोते बड़े हो जाएँ , इनका घर बस जाये l " अब उसे मरने के बाद सांप की योनी मिली l अब वह अपने द्वारा गाड़े गए खजाने की रक्षा करने लगा l बच्चों को खजाने का पता चला तो उन्होंने लाठी से सांप को मार डाला और खजाने पर अधिकार कर लिया l
नारदजी ने उस आत्मा से कहा --- " देख लिया ! तुम इन्हीं के लिए सब कुछ करते थे न l "
आत्मा बोली --- " आप सही कहते हैं , हमारे मोह ने हमारी दुर्गति की "
पुराणों की ये कथाएं हमें होश में लाने के लिए हैं कि हम यह ख्याल रखें कि परमात्मा हर पल हमारे साथ है , हमें देख रहा है इसलिए ईमानदारी से कर्तव्य पालन करें , बेईमानी और भ्रष्टाचार छोड़कर सन्मार्ग पर चलें l
एक आदमी बूढ़ा हुआ तो नारदजी उसके पास आये और उससे कहा कि भगवान को याद कर लो ! इतना समय ऐसे ही बीत गया l बूढ़े ने कहा --- " व्यापार ठिकाने लग जाये , बच्चे संभल जाएँ , नाती - पोते देख लें फिर भगवान को याद करेंगे l "" मृत्यु आई और वह चल बसा l कंजूस था , परोपकार किया नहीं , बैल की तरह श्रम किया तो अगले जन्म में बैल बना l मोह के कारण अपने बच्चों की जमीन पर ही खूब काम करता l नारदजी ने समझाया -- भगवान को याद कर लो , इस बैल की योनि से मुक्त हो जाओगे l वह बोला --- बच्चों के लिए ही तो काम कर रहे हैं l
अब मरे तो कुत्ते की योनि मिली l अब भी बेटों के यहाँ गए l घर की रक्षा करते l नारदजी फिर गए और कहा -- तुम्हे मोह से कब मुक्ति मिलेगी , अब तो भगवान को याद कर लो l कुत्ता बोला -- नाती - पोते बड़े हो जाएँ , इनका घर बस जाये l " अब उसे मरने के बाद सांप की योनी मिली l अब वह अपने द्वारा गाड़े गए खजाने की रक्षा करने लगा l बच्चों को खजाने का पता चला तो उन्होंने लाठी से सांप को मार डाला और खजाने पर अधिकार कर लिया l
नारदजी ने उस आत्मा से कहा --- " देख लिया ! तुम इन्हीं के लिए सब कुछ करते थे न l "
आत्मा बोली --- " आप सही कहते हैं , हमारे मोह ने हमारी दुर्गति की "
पुराणों की ये कथाएं हमें होश में लाने के लिए हैं कि हम यह ख्याल रखें कि परमात्मा हर पल हमारे साथ है , हमें देख रहा है इसलिए ईमानदारी से कर्तव्य पालन करें , बेईमानी और भ्रष्टाचार छोड़कर सन्मार्ग पर चलें l
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