पुरुषार्थी और परिश्रमी व्यक्ति कभी साधनों , सुविधाओं और परिस्थितियों का मुंह नहीं ताकते, निरंतर आगे बढ़ते ही रहते हैं l
ग्यारहवीं शताब्दी में जब महमूद गजनवी ने खीवा पर आक्रमण किया तो अलबेरुनी मात्र एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जनमानस को विदेशी आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए प्रेरित किया l वे अपने प्रयासों में सफल नहीं हुए और उन्हें देश निकाला दिया गया l उन्होंने अपना निर्वासित जीवन भारत में व्यतीत करने का निश्चय किया l
भारत आकर अलबेरुनी ने संस्कृत भाषा सीखी l और संस्कृत वाड्मय का अध्ययन करने के बाद वे जिन भारतीय ग्रंथों से सर्वाधिक प्रभावित हुए उनमे भगवद्गीता सर्वप्रथम है l उन्होंने अपनी 20 पुस्तकों में अनेक स्थानों पर गीता के अध्ययन - मनन का महत्व मानव - कल्याण के लिए प्रतिपादित किया है l अरबी जनता जो अब तक भारतीय धर्म को कुफ्र की निगाह से देखती थी , वहां के प्रबुद्ध वर्ग ने अलबेरुनी के माध्यम से गीता का परिचय प्राप्त कर उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की l
अलबेरुनी ने वराहमिहिर की वृहतसंहिता तथा लघु जातक कथाओं और चरक संहिता का अरबी में अनुवाद किया l इसके बाद उन्होंने भारतीय दर्शन ग्रंथों का अरबी में अनुवाद किया l
'तारीखल हिंदू ' एक ऐतिहासिक कृति है --- जिसमे सैकड़ों स्थानों पर गीता के श्लोक उद्धृत किये हैं l ऐसा कहा जाता है कि अलबेरुनी ने 146 पुस्तकें लिखीं , लेकिन अब अधिकांश अनुपलब्ध हैं l
ग्यारहवीं शताब्दी में जब महमूद गजनवी ने खीवा पर आक्रमण किया तो अलबेरुनी मात्र एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने जनमानस को विदेशी आक्रमण का प्रतिरोध करने के लिए प्रेरित किया l वे अपने प्रयासों में सफल नहीं हुए और उन्हें देश निकाला दिया गया l उन्होंने अपना निर्वासित जीवन भारत में व्यतीत करने का निश्चय किया l
भारत आकर अलबेरुनी ने संस्कृत भाषा सीखी l और संस्कृत वाड्मय का अध्ययन करने के बाद वे जिन भारतीय ग्रंथों से सर्वाधिक प्रभावित हुए उनमे भगवद्गीता सर्वप्रथम है l उन्होंने अपनी 20 पुस्तकों में अनेक स्थानों पर गीता के अध्ययन - मनन का महत्व मानव - कल्याण के लिए प्रतिपादित किया है l अरबी जनता जो अब तक भारतीय धर्म को कुफ्र की निगाह से देखती थी , वहां के प्रबुद्ध वर्ग ने अलबेरुनी के माध्यम से गीता का परिचय प्राप्त कर उसकी मुक्त कंठ से प्रशंसा की l
अलबेरुनी ने वराहमिहिर की वृहतसंहिता तथा लघु जातक कथाओं और चरक संहिता का अरबी में अनुवाद किया l इसके बाद उन्होंने भारतीय दर्शन ग्रंथों का अरबी में अनुवाद किया l
'तारीखल हिंदू ' एक ऐतिहासिक कृति है --- जिसमे सैकड़ों स्थानों पर गीता के श्लोक उद्धृत किये हैं l ऐसा कहा जाता है कि अलबेरुनी ने 146 पुस्तकें लिखीं , लेकिन अब अधिकांश अनुपलब्ध हैं l
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