अपने बौद्धिक होने के अहंकार में डूबा हुआ व्यक्ति जब सन्मार्ग पर चलना नहीं चाहता , अपनी गलत आदतों को विभिन्न तर्कों से सही सिद्ध करता है --- ऐसी स्थिति की जब अति हो जाती है तब प्रकृति अपने ढंग से मनुष्यों को सिखाती है --- मांसाहार , नशा , असंयम -- यह सब बीमारियों की जड़ है l यदि आज मनुष्य प्रकृति के संदेश को समझ जाये तो शाकाहार अपनाये , नशे से दूर रहे , पर्यावरण को सुरक्षित रखे l
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- ' वर्तमान समय में विश्व मानवता विक्षुब्ध और अशांत है , नैतिकता की उपादेयता आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है l इसे मानव धर्म के रूप में स्वीकारा जाना चाहिए l '
ब्रिटेन के शीर्षस्थ इतिहासकार अर्नाल्ड टायनबी ने लिखा है ----' विज्ञान ने मनुष्यों को जड़ शक्ति और मानव शरीर पर नियंत्रण स्थापित करने की असाधारण क्षमता प्रदान की है , लेकिन आत्मनियंत्रण के कार्य में वह मनुष्यों की कोई सहायता नहीं कर सकता और वस्तुत: आत्मसंयम ही मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या रही है l ------ सच्चे धर्म की कसौटी यह होगी कि उस धर्म में मानव कष्टों से संबंधित समस्याओं का सामना करने की कितनी अधिक क्षमता है l भविष्य में हमारे समक्ष अग्नि परीक्षा का जो समय आने वाला है , उसमें हमारे इन कष्टों के और भी अधिक बढ़ जाने की संभावना है l "
पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी का कहना है --- ' वर्तमान समय में विश्व मानवता विक्षुब्ध और अशांत है , नैतिकता की उपादेयता आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है l इसे मानव धर्म के रूप में स्वीकारा जाना चाहिए l '
ब्रिटेन के शीर्षस्थ इतिहासकार अर्नाल्ड टायनबी ने लिखा है ----' विज्ञान ने मनुष्यों को जड़ शक्ति और मानव शरीर पर नियंत्रण स्थापित करने की असाधारण क्षमता प्रदान की है , लेकिन आत्मनियंत्रण के कार्य में वह मनुष्यों की कोई सहायता नहीं कर सकता और वस्तुत: आत्मसंयम ही मनुष्य की सबसे बड़ी समस्या रही है l ------ सच्चे धर्म की कसौटी यह होगी कि उस धर्म में मानव कष्टों से संबंधित समस्याओं का सामना करने की कितनी अधिक क्षमता है l भविष्य में हमारे समक्ष अग्नि परीक्षा का जो समय आने वाला है , उसमें हमारे इन कष्टों के और भी अधिक बढ़ जाने की संभावना है l "
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