कहते हैं --- ' मन के हारे हार है , मन के जीते जीत l ' जीवन में हमें जो पल मिले हैं उन्हें सार्थक करने में ही हमारी भलाई है l शासन ने तो लॉक डाउन कर दिया अब यह हमारे हाथ में है कि हम इस समय का सार्थक उपयोग करते हैं या इसे व्यर्थ गँवा देते हैं l कुछ समय बाद ये दिन इतिहास बन जायेंगे , हमारी यादों में रहेंगे l महामारी से बचने के लिए प्रतिरोधक शक्ति जरुरी है जो नियम , संयम , प्राणायाम , संतुलित भोजन के साथ पारिवारिक शांति और मन में संतोष पर निर्भर है l
महाभारत में प्रसंग है --- जब पांडव जुए में हार गए और उन्हें 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ l इस अज्ञातवास में वे निष्क्रिय होकर नहीं रहे l वे लोग वेश बदल कर राजा विराट के यहाँ रहे l अर्जुन ने उस अवधि में वहां नृत्य - संगीत सिखाने का कार्य किया l शक्तिशाली भीम ने रसोइये का कार्य किया l यज्ञ से उत्पन्न हुई द्रोपदी ने महारानी की सेवा , उनके साज श्रंगार का कार्य किया l इसी तरह नकुल , सहदेव और युधिष्ठिर ने अलग - अलग कार्य किये l सम्पूर्ण वनवास की अवधि में और फिर अज्ञातवास में निरंतर सक्रिय रहकर ही उन्होंने वो ऊर्जा संचित की जिससे वह महाभारत के युद्ध में विजयी हुए l इस अवधि में पांचों पांडव और द्रोपदी परस्पर मेलजोल से परिस्थितियों से संतुलन बनाकर रहे l
दूसरी तरफ कौरव भोग - विलास और छल - कपट और षड्यंत्र जैसे नकारात्मक कार्यों में अपनी ऊर्जा नष्ट करते रहे l इसलिए पराजित हुए l
महाभारत में प्रसंग है --- जब पांडव जुए में हार गए और उन्हें 12 वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास हुआ l इस अज्ञातवास में वे निष्क्रिय होकर नहीं रहे l वे लोग वेश बदल कर राजा विराट के यहाँ रहे l अर्जुन ने उस अवधि में वहां नृत्य - संगीत सिखाने का कार्य किया l शक्तिशाली भीम ने रसोइये का कार्य किया l यज्ञ से उत्पन्न हुई द्रोपदी ने महारानी की सेवा , उनके साज श्रंगार का कार्य किया l इसी तरह नकुल , सहदेव और युधिष्ठिर ने अलग - अलग कार्य किये l सम्पूर्ण वनवास की अवधि में और फिर अज्ञातवास में निरंतर सक्रिय रहकर ही उन्होंने वो ऊर्जा संचित की जिससे वह महाभारत के युद्ध में विजयी हुए l इस अवधि में पांचों पांडव और द्रोपदी परस्पर मेलजोल से परिस्थितियों से संतुलन बनाकर रहे l
दूसरी तरफ कौरव भोग - विलास और छल - कपट और षड्यंत्र जैसे नकारात्मक कार्यों में अपनी ऊर्जा नष्ट करते रहे l इसलिए पराजित हुए l
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