29 April 2020

WISDOM ------- स्वाभिमान जरुरी है l

    अहंकार  के  वशीभूत  होकर   जिसने  भी  स्वयं  को   भगवान   मानने   का  प्रयास  किया  उसका  अंत   होता  है   l   अहंकारी  अपनी  महत्वाकांक्षा  हेतु  अनीति  और  अधर्म  का  सहारा  लेता  है   l   प्राचीन  से  लेकर  आधुनिक  समय  तक    चाहे    रावण  हों ,  हिरण्यकश्यप  हों  ,, अथवा  सिकंदर , हिटलर , मुसोलिनी   कोई  भी  हों  ,  इन  सब  को  अपनी  शक्ति  का  बहुत  अहंकार  था   जिसका  उन्होंने  दुरूपयोग  किया  ,  उनका  अंत  हुआ  l
   अहंकार  का  सबसे  बड़ा  कारण  है --- धन  और  शक्ति    का  प्राप्त  होना  l   जिसके  पास  ये  दोनों  है  वह  सबसे  बड़ा  अहंकारी  हो  जाता  है  ,  फिर  अपनी  शक्ति  को  निरंतर  बढ़ाते  हुए   वह   पूरे   संसार  को  अपनी  मर्जी  से  चलाना   चाहता  है  l   जो  उसके  इस  अहंकार  के  आगे  सिर   न  झुकाए    ,  उसे  वह  बर्दाश्त  नहीं  करता  है  l
  रामचरितमानस  में    विभीषण  का  चरित्र   आज  के  युग  में  हमें   स्वाभिमान  से  जीने  की  प्रेरणा  देता  है   l   विभीषण  ने    रावण  के  अहंकार  के  आगे  अपना  सिर   नहीं  झुकाया  l   विभीषण  जानता   था  कि   रावण  ने  अनीति  और  अधर्म    से   सोने  की  लंका  खड़ी  की  है   और  अपनी  शक्ति  के  बल  पर  वह  राक्षसों  को   ,  अपने  एजेंटों  को  भेजकर  ऋषियों  पर  और  निर्दोष  जनता  पर  अत्याचार  करता  है  l   अत्याचार  की  अति  तो  तब  हो  गई  जब  उसने  नारी  पर  अत्याचार  किया  ,  माँ  सीता  का  अपहरण  किया  l   विभीषण  ने  यही  कहा  कि   ---'- इस  अधर्म  के  मार्ग  को  छोड़ो ,  यदि   अनीति  , अत्याचार   की  नीति   को  नहीं  छोड़ना  है   तो  तुम्हारी  लंका  तुम्हे  मुबारक  l   हम  वनवासी  राम  के  साथ  कष्ट  सहकर  रह  लेंगे   l '
विभीषण  ने  रावण  का  सारा  वैभव    छोड़  दिया  ,  सारे  सुखों  को  तिलांजलि  देकर   वह   वनवासी  राम  के  पास  आ  गया  l   सत्य  और  धर्म  के  साथ  चलकर  थोड़ा - बहुत  कष्ट  भी  हो  तो  वह  स्वीकार  है  l
     आज  संसार  में   चारों   ओर    धन  का  बोलबाला  है  l     अहंकार  उनका  दुर्गुण  है ,  लेकिन  हम  अपनी  जरूरतों  के  लिए  उनके  आगे   सिर   झुककर   उनके  अहंकार  को  पोषित  करते  हैं  ,  इसलिए  उनका  अहंकार  बढ़ता  जाता  है  l
व्यक्ति  हो  या  कोई  देश    यदि  अपने  साधनों  में  संतुष्ट  रहे   ,  जो  कुछ  अपने  पास  है   उसी  का  सर्वोत्तम  उपयोग  कर  के  अपनी  तरक्की  का  प्रयास  करे     तो  सुख - शांति  से  जीवन  जी  सकता  है   और  अहंकारियों  द्वारा  किए   जाने  वाले  उत्पात  से  भी  बच  सकता  है  l 

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