श्रीमदभगवद्गीता का स्पष्ट सन्देश है --- ' कभी भी कर्म किये बिना न रहो l बिना कर्म के मनुष्य का कोई अस्तित्व नहीं है l जो कर्म किये बिना जीता है , वह अपने अस्तित्व को खो बैठता है l जीवन समर में सभी प्रकार की उथल - पुथल का सामना करते हुए जीना , सक्रिय हो उद्दमी बने रहना ही मनुष्य को शोभा देता है कर्म करो , सक्रिय होकर जियो , निर्भय होकर रहो एवं परिश्रम से मत डरो l जब तक जीवित हो वास्तव में जीवन का एक - एक पल जियो l कर्मों द्वारा ऊँचे उठो , कर्मों द्वारा ही उन्नति करो , कर्मों से ही अपना विस्तार करो l
यदि आज की परिस्थितियों के सन्दर्भ में हम देखें तो हमारे पवित्र ग्रन्थ गीता में भगवान हमें जीवन जीने की कला सिखा रहे हैं कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में हम सकारात्मक कार्यों , सकारात्मक चिंतन से स्वयं को सक्रिय रखें l
यदि आज की परिस्थितियों के सन्दर्भ में हम देखें तो हमारे पवित्र ग्रन्थ गीता में भगवान हमें जीवन जीने की कला सिखा रहे हैं कि कैसे विपरीत परिस्थितियों में हम सकारात्मक कार्यों , सकारात्मक चिंतन से स्वयं को सक्रिय रखें l
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