किसी को कष्ट देना , उसकी खुशियां छीन लेना , किसी की आँखों में आँसू देना बहुत सरल कार्य है l ऐसे ही कार्यों की आज संसार में भरमार है l इसलिए लेकिन किसी को खुशी देना , चेहरे पर मुस्कान ला देना , सच्चे हृदय से किसी के कार्यों की तारीफ़ करना बहुत कठिन कार्य है l
किसी को ख़ुशी देने के लिए बहुत बड़ी धन - सम्पदा देने की जरुरत नहीं है , किसी के कठिन वक्त में उसकी मदद करने से ही उसको ख़ुशी मिल जाती है l एक घटना स्पष्ट करती है कि खुशियाँ कैसे आती हैं ----- एक गाँव में बहुत गरीबी थी , खेती अच्छी नहीं थी , कोई रोजगार नहीं था , शासन से जो मदद मिलती थी , उससे गुजारा हो जाता था l चारों और सन्नाटा था , कहीं कोई उमंग नहीं थी l कई वर्ष ऐसे ही सन्नाटे में गुजर गए l कुछ श्रद्धालुओं ने वहां एक प्राचीन खंडहर हुए मंदिर का जीर्णोद्धार किया , उसमे शनि महाराज और हनुमानजी व अन्य देवी - देवताओं की मूर्तियां थीं , साफ - सफाई कर के वहां पूजा - प्रार्थना शुरू करा दी l श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे l गाँव के लोगों में उमंग जगी l सुबह जल्दी उठकर महिलाएं , बच्चे सब फूल - मालाएं तैयार करते , भजन - पूजन की सामग्री , प्रसाद आदि तैयार कर के मंदिर से मुख्य सड़क तक सब खड़े रहते l दिन - भर में सबकी फूल - माला आदि की जो बिक्री होती , वह उन के मन को खुश करने के लिए पर्याप्त थी l शनिवार , मंगलवार को मेला भरता l खेल - खिलौना , गुब्बारे , मिठाई , झूला सभी की कुछ न कुछ बिक्री होती l दिनभर मेहनत के बाद जो पैसा मिलता , उसकी ख़ुशी ही अलग है l मात्र एक - दो महीने में ही उस गाँव का काया कल्प हो गया l लोगों के जीवन में उमंग आ गई , जिस गाँव में सन्नाटा पसरा था , वहां महिलाओं की हंसी , बच्चों की खिलखिलाहट गूंजने लगी l
इसे हम केवल ईश्वर की कृपा नहीं कह सकते l कर्मकांड चाहे किसी भी धर्म के हों , उनमे अच्छाई - बुराई हो सकती है लेकिन उनके माध्यम से लोगों को रोजगार मिलता है , आय प्राप्त होती है , गरीबों के जीवन में छोटी - छोटी खुशियां आ जाती हैं l उनका सामान खरीदकर , उन्हें थोड़ी सी ख़ुशी देकर हमारे लिए भी ईश्वर की कृपा पाने का रास्ता खुल जाता है l
किसी को ख़ुशी देने के लिए बहुत बड़ी धन - सम्पदा देने की जरुरत नहीं है , किसी के कठिन वक्त में उसकी मदद करने से ही उसको ख़ुशी मिल जाती है l एक घटना स्पष्ट करती है कि खुशियाँ कैसे आती हैं ----- एक गाँव में बहुत गरीबी थी , खेती अच्छी नहीं थी , कोई रोजगार नहीं था , शासन से जो मदद मिलती थी , उससे गुजारा हो जाता था l चारों और सन्नाटा था , कहीं कोई उमंग नहीं थी l कई वर्ष ऐसे ही सन्नाटे में गुजर गए l कुछ श्रद्धालुओं ने वहां एक प्राचीन खंडहर हुए मंदिर का जीर्णोद्धार किया , उसमे शनि महाराज और हनुमानजी व अन्य देवी - देवताओं की मूर्तियां थीं , साफ - सफाई कर के वहां पूजा - प्रार्थना शुरू करा दी l श्रद्धालु दर्शन के लिए आने लगे l गाँव के लोगों में उमंग जगी l सुबह जल्दी उठकर महिलाएं , बच्चे सब फूल - मालाएं तैयार करते , भजन - पूजन की सामग्री , प्रसाद आदि तैयार कर के मंदिर से मुख्य सड़क तक सब खड़े रहते l दिन - भर में सबकी फूल - माला आदि की जो बिक्री होती , वह उन के मन को खुश करने के लिए पर्याप्त थी l शनिवार , मंगलवार को मेला भरता l खेल - खिलौना , गुब्बारे , मिठाई , झूला सभी की कुछ न कुछ बिक्री होती l दिनभर मेहनत के बाद जो पैसा मिलता , उसकी ख़ुशी ही अलग है l मात्र एक - दो महीने में ही उस गाँव का काया कल्प हो गया l लोगों के जीवन में उमंग आ गई , जिस गाँव में सन्नाटा पसरा था , वहां महिलाओं की हंसी , बच्चों की खिलखिलाहट गूंजने लगी l
इसे हम केवल ईश्वर की कृपा नहीं कह सकते l कर्मकांड चाहे किसी भी धर्म के हों , उनमे अच्छाई - बुराई हो सकती है लेकिन उनके माध्यम से लोगों को रोजगार मिलता है , आय प्राप्त होती है , गरीबों के जीवन में छोटी - छोटी खुशियां आ जाती हैं l उनका सामान खरीदकर , उन्हें थोड़ी सी ख़ुशी देकर हमारे लिए भी ईश्वर की कृपा पाने का रास्ता खुल जाता है l
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