पुरानी आदत आसानी से जाती नहीं l जिन जातियों ने संसार को हमेशा से अपना गुलाम बनाया , उनकी यह गुलाम बनाने की आदत जाती नहीं l और जो जातियां गुलाम रहीं , अब उनको गुलामी में रहना ही अच्छा लगता है l जैसे एक हाथी जब छोटा रहता है , उसे रस्सी से बांध दो , तो उसकी बंधे रहने की आदत बन जाती है l जब वह बड़ा मजबूत हाथी हो जाये तब भी वह उस पतली रस्सी से बंधा रहता है , रस्सी तोड़ कर भागता नहीं l
गुलाम बनाने के तरीके भौतिक प्रगति के साथ - साथ आधुनिक हो जाते हैं l पहले मार - पीट कर , अत्याचार कर गुलाम बनाते थे l अब तरीका बदल गया l जो देश गरीब हैं , कमजोर हैं , जिन्हे अपने साधनों पर यकीन नहीं है , उन्हें ऋण देकर , सहायता - अनुदान के बोझ से इतना दबा दो की वे उनकी हर आज्ञा को मानने को विवश हो जाएँ l इसमें नुकसान तो दोनों पक्षों का होता है किन्तु जो शक्तिशाली हैं उनके अहं को पोषण जरूर मिल जाता है l
जब तक लोगों का , देश का स्वाभिमान नहीं जागेगा , हम अपनी संस्कृति , अपने साधनों को महत्व नहीं देंगे , तब तक इस जंजाल से मुक्ति संभव नहीं है l
गुलाम बनाने के तरीके भौतिक प्रगति के साथ - साथ आधुनिक हो जाते हैं l पहले मार - पीट कर , अत्याचार कर गुलाम बनाते थे l अब तरीका बदल गया l जो देश गरीब हैं , कमजोर हैं , जिन्हे अपने साधनों पर यकीन नहीं है , उन्हें ऋण देकर , सहायता - अनुदान के बोझ से इतना दबा दो की वे उनकी हर आज्ञा को मानने को विवश हो जाएँ l इसमें नुकसान तो दोनों पक्षों का होता है किन्तु जो शक्तिशाली हैं उनके अहं को पोषण जरूर मिल जाता है l
जब तक लोगों का , देश का स्वाभिमान नहीं जागेगा , हम अपनी संस्कृति , अपने साधनों को महत्व नहीं देंगे , तब तक इस जंजाल से मुक्ति संभव नहीं है l
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