13 May 2020

WISDOM -----

    महाभारत  एक  दूसरे  को  सम्मान  न  दे  पाने  की  भीषण  प्रतिक्रिया  के  रूप  में  ही   उभरा  था   l   बचपन  में  दुर्योधन  राजमद  में   पांडवों  को  सम्मान  न  दे  सका   l   भीम  सहज  प्रतिक्रिया  के  रूप  में   अपने  बल  का  उपयोग  कर  के   उन्हें  अपमानित - तिरस्कृत  करने  लगे   l
द्रोपदी  सहज  परिहास  में  भूल  गई   कि   दुर्योधन  को   '  अंधों  के  अंधे  '  सम्बोधन  से  अपमान  का  अनुभव  हो  सकता  है   l   दुर्योधन  द्वेषवश  नारी  के  शील  का  महत्व   ही  भूल  गया   और  द्रोपदी  को  भरी  सभा  में  अपमानित  करने  पर  उतारू  हो  गया   l   यही  सब  कारण  जुड़ते  गए   तथा  छोटी - छोटी   शिष्टाचार  की  त्रुटियों   की  चिनगारियाँ   भीषण  ज्वाला  बन  गईं   l
यदि  परस्पर  सम्मान  का  ध्यान  रखा  जा  सका  होता  ,  अशिष्टता  पर  अंकुश  रखा  जाता  ,  तो  स्नेह  बनाये  रखने  में  कोई  कठिनाई  नहीं  होती   l  भीष्म  पितामह  और  वासुदेव  जैसे  युग - पुरुषों  का  लाभ  मिल  जाता   l   वह  पूरा  काल - खंड   छल - छद्द्म ,  षड्यंत्र  और   भाई - भाई  के  आपसी  झगड़ों  में  ही  व्यतीत  हो  गया   l
महाभारत  के  विभिन्न  प्रसंग  हमें  शिक्षा  देते  हैं  कि  हम  आपस  में  झगड़कर  अपना  ही  नुकसान  करते  हैं   l  अनमोल  जीवन  को  व्यर्थ  में  गँवा  देते  हैं   l 

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