9 May 2020

WISDOM -----

  मानव  शरीर  पांच  तत्वों  से  मिलकर  बना  है  --- पृथ्वी , जल , अग्नि , वायु  और  आकाश  l  यह  तत्व  प्रकृति  की  देन   हैं  ,  इन  तत्वों  में  निश्चित  रूप  से  ऐसी  कुछ  विशेषताएं  हैं   जिनके  कारण  हम  किसी  व्यक्ति  को  देखते  ही  समझ  जाते  हैं  कि   यह  भारतीय  है , यह  विदेशी  है ,  यह  चीन  का  है ,  जापान  का  है   ----- l   जो  पौधा  विदेशी  धरती  में  लगा  है  ,  वह  वहां  की  जलवायु  के  उपयुक्त  है  , इसलिए  वह  वहीँ  फलेगा - फूलेगा   l   उसे  यदि  वहां  से  उखाड़  कर  दूसरे  देश  में  लगाया  जाये   तो  संभव  है  वह  सूख   जायेगा   और  जहरीला  भी  हो  जायेगा  l
जब  विभिन्न  देशों  के  मध्य  आवागमन  के  साधन  नहीं  थे  तब   प्रत्येक  देश  के  उसके  प्राकृतिक  साधनों  के  अनुरूप  कृषि  के  तरीके  थे , चिकित्सा  की  पद्धति   थी  ,  लोग  स्वस्थ  थे  , संसार  अपनी  गति  से  चल  रहा  था  l   इन  पांच  तत्वों  का  ऐसा  प्रभाव  है  कि   प्रत्येक  व्यक्ति  जिस  देश  में  पैदा  होता  है   वह  उसी  देश  के  खाद - पानी  में  उगे  हुए  अनाज , फल  आदि  खा  कर  स्वस्थ  रहेगा  l   देशी  शरीर  में    विदेशी    खाद  और  विदेशी  बीज  से  तैयार  फल , अनाज  खा कर  वह  पूर्ण  स्वस्थ  नहीं  रहेगा  l   इसी  तरह  सौंदर्य  सामग्री  है  , इसमें  जो  देशी   चीजें  है ,  और  हमारे ही  देश  के  साधनों  से  बनाई  गई  हैं  , उनके  प्रयोग  से  कोई  रिएक्श्न  नहीं  होता  l   यही  स्थिति  चिकित्सा  के  क्षेत्र  में  है  l    जो  व्यक्ति  जिस  देश  में  पैदा  हुआ  ,  वह   अपने  ही  देश  की  चिकित्सा  पद्धति   में  और  उसी  के  अनुरूप  बनी   दवा  आदि  में  स्वस्थ  रहेगा  l  विदेशी  धरती  पर  या  विदेशी  सामग्री  से  बनी  दवा , इंजेक्शन  आदि  को  उसका  शरीर  आसानी  से  स्वीकार  नहीं  करेगा  l   कुछ  समय  के  लिए  स्वस्थ  चाहे  हो  जाएँ  ,  फिर  उसका  रिएक्शन  अवश्य  होगा    l    मनुष्य  की  महत्वाकांक्षा ,  उसका  अहंकार  की  हम  विभिन्न  देशों   की   शिक्षा , कृषि , उद्दोग ,  चिकित्सा   आदि   सभी  क्षेत्रों  पर  अपना  नियंत्रण  कर  उसे  अपनी  मर्जी  से  चलाएं  ,  मनुष्य  के  इसी  शौक  की  वजह  से  संसार  में  अनेक  नई  बीमारियां  और  समस्याएं  पैदा  हुई  हैं  l
यह  सब  परिस्थिति  जल्दी  बदलने  वाली  नहीं  है  ,  अब  यह  पूर्णरूप  से  व्यक्ति  विशेष  पर  ही  निर्भर  है   कि   यदि  उसे  स्वस्थ  रहना  है  तो  वह  प्रकृति  के  अनुरूप  और  प्रकृति  के  संरक्षण  में  रहे  l   हमारे  पास  ईश्वर  की  देन   है --सूरज  का  प्रकाश  है ,  आयुर्वेद  है  , अध्यात्म  है   --- l 

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