छत्रपति शिवाजी ने अपनी वीरता और कूटनीति से भारतवर्ष के एक बड़े भाग को विदेशी शासन के प्रभाव से मुक्त कर दिखाया l अपने जीवन के कटु अनुभव के आधार पर वे किसी भी शत्रु पर किसी भी मूल्य पर कभी विश्वास नहीं करने की नीति पर दृढ़ रहते थे l उन्होंने शत्रु पक्षीय अथवा अनबूझ व्यक्ति पर सहसा विश्वास कर लेना राजनीति में एक कमजोरी मान लिया था l
हमारे नीतिकारों ने भी यही कहा है कि दुष्ट शत्रु पर दया दिखाना अपना और दूसरों का अहित करना है l आजकल के व्यवहार शास्त्र का स्पष्ट नियम है कि दूसरों को सताने वाले दुष्टजन पर दया करना , सज्जनों को दंड देने के समान है क्योंकि दुष्ट तो अपनी स्वभावगत क्रूरता और नीचता को छोड़ नहीं सकता , जब तक वह स्वतंत्र रहेगा और उसमे शक्ति रहेगी , वह निर्दोष व्यक्तियों को सब तरह से दुःख और कष्ट ही देगा l
हमारे नीतिकारों ने भी यही कहा है कि दुष्ट शत्रु पर दया दिखाना अपना और दूसरों का अहित करना है l आजकल के व्यवहार शास्त्र का स्पष्ट नियम है कि दूसरों को सताने वाले दुष्टजन पर दया करना , सज्जनों को दंड देने के समान है क्योंकि दुष्ट तो अपनी स्वभावगत क्रूरता और नीचता को छोड़ नहीं सकता , जब तक वह स्वतंत्र रहेगा और उसमे शक्ति रहेगी , वह निर्दोष व्यक्तियों को सब तरह से दुःख और कष्ट ही देगा l
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