21 June 2020

WISDOM ----- जीवन का विनाश करना एक अपराध है

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  वाङ्मय  ' मरकर  भी  अमर  हो  गए  जो '  में  लिखा  है ---- "  आत्मघात  तो  एक  पाप  है  ही  ,  साथ  ही  अन्य  प्रकार  से   भी  जीवन  का  विनाश  करना   एक  अपराध  है  ---- जो  मनुष्य  अज्ञानवश   विषय - वासनाओं  और  भोग - विलास  में  पढ़कर  इस  मानव  जीवन  का  दुरूपयोग  करते  हैं   और  लोभ , मोह , क्रोध  व  अहंकार   में  पढ़कर  ऐसे  काम  किया  करते  हैं  , जिससे  अन्य  मनुष्यों  व  प्राणियों   को  कष्ट  होता  है  , तो  ऐसा  कर  के   वे  अपने  मानव  जीवन  का  विनाश  करते  हैं  l
    लोभ  के  वशीभूत  होकर   प्राय:  लोग  अपनी  शारीरिक , बौद्धिक  तथा  व्यावहारिक  शक्तियों  का  दुरूपयोग  कर   धन - सम्पति  का  संचय  करते  हैं  l   इसके  लिए  वे  शोषण , छल - कपट  का   सहारा  लेते  हैं  और  चोरी , डकैती , भ्रष्टाचार   आदि  न  जाने  कितने  घृणित  कर्म  करते  हैं   l   उनके  इन  लोभ  प्रेरित  कार्यों  से   कितने  लोगों  को  कष्ट ,  हानि  और  भयंकर  शोक  सहन  करना  पड़ता  है  l   ऐसे  दुष्परिणाम  देने  वाले   कार्यों  को  करना  जीवन  का  दुरूपयोग  और  उसको  नष्ट  करना  है  l
  इसी  प्रकार  लोग  मोह  में  पड़कर   और  अहंकार  के  वशीभूत  होकर  अधर्म  के  पथ  पर  चलने  लगते  हैं  l   अपने  स्वार्थ  में  लिप्त  रहते  हैं , समाज , राष्ट्र  अथवा  संसार  के   प्रति  भी  उनका  कुछ  कर्तव्य  है ,  इसे   भूल  जाते  हैं    और  अपने  स्वार्थों  में  व्यवधान पड़ने  पर   अपराधों  में  प्रवृत  हो  जाते  हैं  l   इस  प्रकार  का  जीवन  चलना  उसे  नष्ट  करना  ही  है  l '

No comments:

Post a Comment