7 June 2020

WISDOM ------

  जब  बाबर  ने  अमीनाबाद  को  जीतकर  अपने  राज्य  में  मिला  लिया    तो  गुरु  नानक  और  उनके  शिष्य  मरदाना  को  भी  जेल  की  हवा  खानी   पड़ी  l   जब  बाबर  को  अपने  अधिकारियों   से  गुरु  नानक  की   आध्यात्मिक  शक्ति  का  पता  चला  तो  वह  उनसे   जेल  में  मिलने  गया  l
नानक  ने  बादशाह  को  देखकर  कहा --- " मनुष्य  का  धर्म  तो  लोगों  की  सेवा  करना  है  ,  और  आप  अपने  राज्य  की  प्रजा  पर  शासन  कर  रहे  हैं  l "  बाबर     ने  अपनी  भूल  स्वीकार  करते  हुए  कहा  --- " बाबा  ! यदि  आप  कुछ  मांगना  चाहते  हों  तो   नि:संकोच  मांग  लीजिए  l "
 गुरु  नानक  ने  कहा --- " राजा  से  तो  मूर्ख   मनुष्य  ही  मांगते  हैं  l  मुझे  यदि  किसी  वस्तु   की  आवश्यकता  भी  होगी   तो  ईश्वर  से  मांगूंगा  l   आपसे  मांगने  का  लाभ  भी  क्या  है  ?  देने  वाला  तो  दाता   एक  राम  है  ,  जो  मनुष्यों  को  तो  क्या  राजाओं    तक  को  देता  है  l "
 इतना  सुनकर  बाबर  ने  कहा --- " तो  आप  ही  मुझे  कुछ  प्रदान  कीजिए  l  "
 नानक  ने  एक  उपदेश  दिया ---- " बाबर  ! इस  संसार  में  किसी  भी  वस्तु  का  स्थायित्व  नहीं  है   l  ध्यान  रखो  !  आपका  या  आपके  पुत्रों  का  शासन  तब  तक  चलेगा   जब  तक  उसका  आधार   प्रेम  और  न्याय  बना  रहेगा  l  "  इस  उपदेश  से  बाबर  के  जीवन  की  दिशा  बदल  गई  l 

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