दुर्योधन को अहंकार दिखाए बिना चैन नहीं पड़ता था l पांडव वनवास में थे l दुर्योधन को महलों में भी संतोष नहीं हुआ , अपने वैभव का प्रदर्शन करने जंगल के उसी क्षेत्र में गया , जहाँ पांडव रह रहे थे l वहां अपने को सर्वसमर्थ सिद्ध करने के लिए मनमाने ढंग से जश्न मनाने लगा l अहंकारी में शालीनता और सौजन्य नहीं होता l वह अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता l उसी क्रम में कौरव गंधर्वों के सरोवर को गन्दा करने लगे l क्रुद्ध होकर गंधर्व राज ने उन्हें बंदी बना लिया l जब युधिष्ठिर को इस बात का पता चला तो उन्होंने अर्जुन को भेजकर अपने मित्र गंधर्व राज से उन्हें मुक्त कराया l दुर्योधन को शर्म से सिर झुकाना पड़ा l
No comments:
Post a Comment