कहते हैं इतिहास से शिक्षा लेकर स्वयं को सुधारना चाहिए , व्यक्ति , समाज हो या राष्ट्र अपनी गलतियों को बार - बार दोहराना नहीं चाहिए , उन्हें सुधारने का सशक्त प्रयास करना चाहिए , अन्यथा इतिहास स्वयं को दोहराता है l आपसी फूट , ऊंच - नीच , जातिगत भेदभाव , संपन्न और शक्तिवान लोगों का भोग - विलास का जीवन --- इन्ही सब दोषों के कारण देश पर समय - समय पर विदेशी आक्रमण हुए और हम अपनी जमीन पर , अपनी धरती पर रहते हुए भी विदेशी आधिपत्य को , उनके आदेश को मानने के लिए मजबूर हुए l इतिहास में इसके सैकड़ों उदाहरण हैं ------- करनाल के विशाल मैदान में मुहम्मद शाह की सेना परास्त हो चुकी थी l विजयी नादिरशाह जब दिल्ली पहुंचा तो उसका भव्य स्वागत किया गया l नादिरशाह ने पानी पीने की इच्छा जाहिर की l मुहम्मद शाह ने पानी लाने का संकेत किया l काफी देर हुई , किन्तु पानी अभी तक नहीं लाया गया l नादिरशाह को नगाड़े और तुरही की आवाज सुनाई दी l नादिरशाह ने समझा कि कोई उत्सव आरम्भ हो गया l देखा तो अनुचरों की भीड़ सोने - चांदी के थालों में सजाये , चँवर ढुलाते पानी की सुराही और गिलास , पानदान और पीकदान लिए चले आ रहे हैं l उसने विलासितापूर्ण आडम्बर देखकर कहा --- मुहम्मद शाह अब मैं समझा कि तुम्हारे पास इतनी विशाल सेना होते हुए तुम क्यों हारे l उसने अपने भिश्ती को संकेत दिया जो मशक भरकर पानी लाया और नादिरशाह ने अपना टोप उतारा और उसमे पानी भरा और पी गया फिर मुहम्मद शाह से बोला --- यदि हम भी तुम्हारी तरह विलासी होते तो ईरान से हिंदुस्तान तक नहीं आ सकते थे l
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