10 September 2020

WISDOM----

  पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  का  कहना  है ---  केवल  विचारों  पर  संयम  करना  पर्याप्त  नहीं  है   l   विचारों  के  साथ  वाणी  पर  संयम  करना  अनिवार्य  है  l   वाणी  की  वाचालता  शक्ति  के  क्षरण  के  अतिरिक्त   संबंधों  में  कटुता  भी  पैदा  करती  है   l   वाणी  के  माध्यम  से  हमारी  मानसिक  शक्तियों  का  सर्वाधिक  क्षरण  होता  है   l   अहंकार , कामुकता , क्रोध , द्वेष  से  लेकर   तृष्णा , वासना   की  अभिव्यक्ति  का  माध्यम  भी  वाणी   बन  जाती  है   l   अंदर  के  कुत्सित    उद्वेग   वाणी  के  माध्यम  से  शब्दों  का  आकार   पाते  हैं  l   इसलिए  वाणी  की  शक्ति  का   संरक्षण , संयम  व  सदुपयोग   भी  शक्ति  संरक्षण  का  एक  महत्वपूर्ण   आधार  कहा  जा  सकता  है l 

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