व्रज की गोपिकाओं की भक्ति को शब्दों में उच्चारित नहीं किया जा सकता l एक कथा है ---- भगवान द्वारकाधीश ने एक दिन बीमार होने की लीला रची l उनकी बीमारी का समाचार सब ओर फ़ैल गया l राजवैद्य आए , नाड़ी देखी , पर कोई भी किसी तरह रोग का निदान नहीं कर पा रहा था l सब बड़े चिंतित थे l तब भगवान ने नारद जी का स्मरण किया l नारद जी आए , उन्होंने देखा कि भगवान के पलंग के पास रुक्मणी , सत्यभामा आदि रानियाँ खड़ी हैं , उन्होंने नारद जी से कहा ---देवर्षि ! आप तो परम ज्ञानी हैं l आप ही भगवान की इस बीमारी का कोई इलाज बताएं l ' नारद जी प्रभु की लीला समझ गए , उन्होंने कहा --- " इस बीमारी का इलाज बहुत सुगम है , आप में से कोई भी इसे कर सकता है l " सभी ने कहा -- उपाय सहज हो या कठिन हम अवश्य करेंगे l तब नारद जी बोले ---- " यदि भगवान श्रीकृष्ण का कोई भक्त अपने चरणों की धूल इनके माथे पर लगा दे तो ये अभी तुरंत ठीक हो जायेंगे l " यह विचित्र उपाय सुनकर सब सोच में पड़ गए l रानियों ने कहा --- " भला यह कैसे संभव है l पहले तो ये हमारे पति हैं , फिर ये स्वयं ब्रह्म हैं l अपने चरणों की धूल इनके माथे पर लगाकर हम सब नरकगामिनी हो जाएँगी l " नरक के भय से द्वारका में कोई भी यह उपाय करने को तैयार नहीं हुआ l भगवान श्रीकृष्ण के संकेत से नारद जी हस्तिनापुर पहुंचे , अपना संदेसा भीष्म , विदुर , द्रोपदी कुंती एवं सभी पांडवों आदि को सुनाया l नरक के भय से अपने चरणों की धूल देने को कोई भी तैयार नहीं हुआ , ऐसे पापकर्म से सब भयभीत थे l अंत में प्रभु की प्रेरणा से नारद जी व्रजभूमि पहुंचे l नारद जी को देखते ही सब गोपियाँ व्याकुल होकर भगवान श्रीकृष्ण का हाल पूछने लगीं l नारद जी से उनकी बीमारी का समाचार सुनकर सब गोपियाँ पोटली में भरकर अपने चरणों की धूल ले आईं l उनके ऐसा करने पर नारद जी ने उन्हें समझाया --- " अभी समय है , तुम सब सोच लो , श्रीकृष्ण भगवान हैं , उन्हें अपने चरणों की धूल देकर तुम सब नरक में जाओगी l " गोपियों ने कहा --- "श्रीकृष्ण के लिए वे सब कुछ त्याग सकती हैं , उनके लिए वे हर कलंक - अपमान सहने को तैयार हैं l अपने कृष्ण के लिए हम सदा - सदा के लिए नरक भोगने को तैयार हैं l " यह सुनकर नारद जी निरुत्तर हो गए और द्वारका पहुंचकर अपनी अनुभव कथा कह सुनाई l यह सब सुनकर श्रीकृष्ण हँसे और बोले --- " नारद ! यही है वह भक्ति , यही हैं वे भक्त , जिनके वश में मैं हमेशा रहता हूँ
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