भगवान बुद्ध के जीवन का प्रसंग है --- सारनाथ में धर्मचक्र प्रवर्तन के बाद भगवान बुद्ध लोगों को धर्म का उपदेश देने के लिए निकले l उन्होंने सभा - समितियाँ आयोजित कीं और आत्मिक प्रगति की शिक्षा देने लगे l सभा - समितियों में दस - पांच लोग भी नहीं आते l पांच - सात दिन तक वे प्रयत्न करते रहे l इस प्रयोग की विफलता के बारे में सोचते हुए बैठे ही थे कि उनके सामने कालपुरुष प्रकट हुआ और बोला ---" लोगों से कुछ लो , तभी वे आपसे ज्ञान प्राप्त करेंगे l नहीं लोगे तो उनका अहं आड़े आएगा और वे कुछ भी ग्रहण नहीं करेंगे l हैं तो वे याचक और दीन ही , पर अपने आप के बारे में इस तरह का आभास नहीं होने देना चाहते l " कालपुरुष के इस परामर्श के बाद ही महात्मा बुद्ध ने अपने हाथ में भिक्षापात्र पकड़ा और राह चलते हुए लोगों के द्वार पर जाकर भिक्षा मांगी l इसके बाद ही उन्हें धर्म का उपदेश दिया l
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