स्वामी दयानन्द सरस्वती ने राष्ट्रीय स्वाभिमान को जगाया , विशुद्ध भारतीयता पर बल दिया l सत्य - असत्य - विवेक की प्रवृति को जगाया l अन्धविश्वास और रूढ़िवाद का खंडन किया l स्वामीजी मूर्ति पूजा का विरोध करते थे l जुलाई 1869 की बात है l कानपुर में पं. गुरुप्रसाद ने प्रयागनारायण में ' कैलास ' और ' वैकुण्ठ ' नमक दो मंदिर बहुत धन लगाकर बनवाये थे l स्वामीजी ने उनसे कहा था ----" आपने लाखों रुपया व्यर्थ गँवा दिया l इससे अच्छा था कि कान्यकुब्ज कन्याओं को , जो 30 -30 वर्ष की कुमारी बैठी हैं , विवाह करवा देते , जिससे देश और जाति का भला होता l "
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