योगी वरदाचरण का नाम बंगाल में बड़ा विख्यात है l वे किसी को अपना शिष्य नहीं बनाते थे l योग की प्रक्रिया स्तर के अनुरूप बता देते थे l काजी नजरुल इसलाम जैसे प्रतिभाशाली को उनकी विशेष कृपा प्राप्त थी l वे प्रारम्भ में प्रेमगीत लिखते थे , पर योगिराज से मिलने के बाद उनकी दिशाधारा बदल गई l काजी नजरुल इसलाम को अपने प्रथम पुत्र का शोक था , वे उसकी आत्मा से मिलना चाहते थे , अपने मृत पुत्र के दर्शन करना चाहते थे l योगिराज ने समझाया , फिर भी वे न माने l मुसलिम धर्म में पुनर्जन्म या मरणोत्तर जीवन की मान्यताएं भिन्न है , उनका बालक आया , जब वे गुरु का नाम जप रहे थे l उनके चारों ओर खेलकर लौट गया l गुरु की आज्ञानुसार उन्होंने उसे स्पर्श नहीं किया l नजरुल जीवन भर योगिराज के शिष्य बने रहे और उनसे पाई शिक्षा को अपने काव्य में उतारते रहे l
No comments:
Post a Comment