' प्रचुर मात्रा में सरकारी सहायता के बावजूद दलित एवं पिछड़े समाज में कोई विशेष परिवर्तन क्यों नहीं नजर आता है ? ' ----- यह पूछे जाने पर पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने कहा ---- " किसी भी पिछड़े समाज को मुख्य धारा में लाने के लिए केवल सरकारी सहायताएं ही पर्याप्त नहीं हैं l मुख्य बात तो यह है कि उस समाज के लोगों की जीवनशैली में परिवर्तन करना आवश्यक है , और जीवनशैली में परिवर्तन करना आसान कार्य नहीं है l यह अत्यंत धैर्यपूर्वक और दीर्घकाल तक की जाने वाली प्रक्रिया है l आप गहराई से सोचें तो पाएंगे कि इंसान या समाज की वर्तमान दुरवस्था का कारण उनके अतीत के कर्मों में सन्निहित है l शुभ एवं सत्कर्मों के माध्यम से इस वर्ग की स्थिति में वांछित एवं आशातीत परिवर्तन लाया जा सकता है l ' उन्होंने आगे कहा ---- ' समाज की महिलाओं एवं पुरुषों को केवल सहायता या पैसा देना पर्याप्त नहीं है l उस सहायता से उनकी क्षमता के आधार पर स्वावलम्बन का कार्य प्रारम्भ करना चाहिए , उन्हें शुभ कर्मों से जोड़ना चाहिए और सेवा कार्यों में संलग्न करना चाहिए l इससे उनकी जीवनशैली में परिवर्तन आएगा , नकारात्मक विचार बदलेंगे l शिक्षा एवं विभिन्न प्रकार के सेवा एवं स्वावलम्बन कार्य करने से उनमे आत्मविश्वास जागेगा l जीवनशैली एवं विचारों में परिवर्तन किए बगैर पिछड़े , दलित या ऐसे किसी समाज का उत्थान संभव नहीं है l
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