4 October 2020

WISDOM ----

   मनुष्य  अपनी  कमजोरियों  और   कामना - वासना  के  चक्रव्यूह  में  इस  तरह  फँसा   है  कि   वह   वास्तविकता  का  सामना  नहीं  करना  चाहता  ,  सच्चाई  से  दूर  भागता  है l    एक  सच  को  छुपाने  के  लिए   सौ   झूठ  बोलने  पड़ते  हैं  l    पं. श्रीराम  शर्मा  आचार्य जी  ने  अपने  प्रवचन  में   एक  किस्सा  सुनाया  था ---- "   एक  समय  की  बात  है  l   एक  वकील  और  उनका   एक   मुवक्किल  था   l   मुवक्किल  किसी  केस  में  फँस   गया  l   उसने  कहा --- ' वकील  साहब  !  आप  मुझे  छुड़ा  दें   तो  मैं  जन्म  भर  आपका  एहसान   मानूँगा  l  वकील  ने  कहा --- ' जन्म  भर  एहसान   मत  मान  ,  बस , तू  मुझे  पांच  हजार  रूपये  दे  दे  ,  मैं  तेरा  केस  लड़  दूंगा  l   तू  पागल  बन  जाना  l   मैं  डॉक्टरों   से  मिलकर   तेरे   पागलपन  का  सार्टिफिकेट   बनवा  दूंगा  l   जब  तू  अदालत  में  जाए ,  तो  बस   एक  ही  शब्द  याद  कर  के  जाना  l   जब  जज  तुझसे  कोई  सवाल  पूछे    तो  तू  कह  देना  -- ' में. ' l   हमारे  कानून  में  पागलों      के     लिए    कोई    कानून     नहीं  है  l    अदालत  में  न्यायधीश  ने  पूछा  ---' क्या  नाम  है  तेरा  ? ' उसने  कहा --- ' में  ' l   क्या  तूने  गलत  काम  किया  है  ?  ' में '  न्यायधीश    कोई  भी  बात  पूछते    तो  वह  कहता  -- ' में  '  l   वकील  ने  कहा  --- साहब  यह  तो  पागल  है  l   यह  बात  उसने   गवाहों  और  सबूतों  के  माध्यम  से  सिद्ध  कर  दी  l   जज  साहब  ने  कहा  --- इसे  बरी  कर  दिया  जाये  l   छूटने  के  बाद  वह  व्यक्ति  वकील  साहब  के  घर  गया   l   वकील  साहब  ने  कहा --- लाइए  हमारे  फीस  के  पांच  हजार  रूपये  l   उस  व्यक्ति  ने  कहा --- ' में '  l   वकील  साहब  अपना  माथा  ठोकते  रह  गए  l 

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