आज भी आध्यात्मिक विषयों में संसार भर के जिज्ञासु भारत को उसके प्राचीन ' जगद्गुरु ' भाव से देखते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करने के उद्देश्य से यहाँ आते हैं l इस संबंध में आर्य समाज के परम विद्वान महात्मा आनंद स्वामी ने अपने अनुभव की एक घटना बतलाई है -------- " पहली बार 1950 में जब मैं गंगोत्री गया और वहां एक कुटिया बना कर योगाभ्यास करने लगा तो उन्ही दिनों दिनों अमेरिका से एक शिक्षित पति - पत्नी वहां पहुंचे l एक दिन बातचीत में दुनिया में दुःखों की चर्चा चली तो मैंने अमेरिकन सज्जन से पूछा ---- ' हम लोग अभी तक यही सुनते रहते हैं कि अमेरिका बड़ा धनी देश है l मानव के सुख , आराम तथा ऐश्वर्य के हर प्रकार के साधन हैं l तब इतनी सब सुख - सुविधा और आराम छोड़कर आप गंगोत्री जैसे स्थान पर क्यों आए l यहाँ तो ठहरने का न तो उत्तम स्थान है , न ही कोई सुविधा l आपको अमेरिका जैसे वैभवशाली देश से कौन सी वस्तु यहाँ खींच लाई l " इस पर अमेरिकन सज्जन ने बड़ी गंभीरता से कहा ---- " वह वस्तु जो वैभवशाली अमेरिका में नहीं है , परन्तु यहाँ हमको प्राप्त हो गई है , उसका नाम है --- शान्ति और आनंद l
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