19 October 2020

WISDOM -----

  ऋषि  कहते  हैं  --- लोग  पूजा - कर्मकांड  तो  बहुत  करते  हैं  लेकिन  उनकी  भावनाएं  ईश्वर  को  समर्पित  नहीं  होतीं  l   हजारों - लाखों  ठोकरें  खाने  के  बावजूद  संसार  से  कभी   अपनापन  टूटता  नहीं   l   प्राय:  सभी  लोग   अपना  नाता   उन  पुरखों  से  सहज  अनुभव  कर  लेते  हैं  ,  जिन्हे   उन्होंने कभी  देखा  ही  नहीं    परन्तु  आदिशक्ति  माँ  ,  जिनकी  कोख  से  हमारी  आत्मा  जन्मी  ,  जो  अनेकों  बार  हमें  संकटों  की  यातना  से  त्राण   दिलाती  हैं  ,  उनके  स्मरण  से   हृदय  में  न  तो  कोई  पुलकन  होती  है    और   न  ही  भवानी  के  प्रति  भावनाएं  आकृष्ट   हो   पाती    हैं   l    संसार  द्वारा   दिए  गए  आघात - प्रतिघात   मानव  मन  में  थोड़ी  देर  के  लिए  विवेक  और  वैराग्य  को  जन्म  देते  हैं  ,  किन्तु  थोड़ी  ही   देर  बाद  पुन:  मन  संसार  में  भटकने  लगता  है  l 

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