महाभारत युद्ध के दौरान कर्ण ने भीष्म से पूछा ---- " आप हम सबके पितामह के साथ - साथ परशुराम जी के शिष्य हैं l मेरे गुरुभाई भी हैं l ऐसा क्यों होता है कि अर्जुन से अधिक पराक्रमी होने के बावजूद , यह विश्वास मन में होते हुए भी कि मैं युद्ध में उसे हरा दूंगा , जब भी मैं अर्जुन के समक्ष होता हूँ , तब - तब पराजय का भाव मेरे मन में आता है l " भीष्म ने कहा ---- " ऐसा इसलिए होता है कर्ण कि तुम जानते हो कि तुम गलत हो , वह सही है l तुम्हारे अंदर अपराधबोध है l उसी का बोझ तुम्हारे मन पर है l भावनाओं का अवरोध ही तुम्हारी क्षमताओं को रोकता है l तुम विचारशील होने के नाते यह भी जानते हो कि पांडवों के साथ अन्याय हो रहा है और तुम अन्याय के पक्ष में खड़े हो l तुम्हारा अंतर्मन बार - बार हिचकता है l कर्ण ! तुम अधर्म के साथ खड़े हो l "
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