मधुसूदन सरस्वती भारत के ऐसे प्रकांड पंडितों में गिने जाते हैं , जिनने काशीधाम में बैठकर सारी विश्व - वसुधा को अपने ज्ञान और भक्ति से प्रभावित किया l अपने गुरु विश्वेश्वर सरस्वती के आदेश पर यमुना तट पर आसन जमाया l इसी बीच एक अलौकिक घटना घटी l सम्राट अकबर की राजमहिषी शूल रोग से बहुत त्रस्त थीं l एक रात उनने स्वप्न में देखा कि यमुना किनारे एक संन्यासी तपस्या कर रहे हैं और उनकी औषधि मिलते ही वे स्वस्थ हो गईं l उनने सम्राट को बताया l अकबर ने पता लगाया l समाचार सही था l एक तरुण तपस्वी चारों ओर से बालू से ढका तप कर रहा था l राजमहिषी वहां गईं और अपने रोग के बारे में तरुण तपस्वी मधुसूदन सरस्वती को बताया l वे बोले ----- " माँ , तुम घर जाओ , तुम शीघ्र ही रोग मुक्त हो जाओगी l " ऐसा ही हुआ l भेंट में मिली दौलत उन्होंने स्वीकार नहीं की l इसके बदले संन्यासियों की रक्षा करने की बात कही l इसके बाद नागा संन्यासियों ने आत्मरक्षा का प्रशिक्षण मधुसूदन के मार्गदर्शन में लिया और शासन ने भी उनकी रक्षा की l
No comments:
Post a Comment