4 November 2020

WISDOM -----

   भगवान  श्रीराम  के  एक  ही  शिष्य  हैं --- हनुमान जी   l   बड़े  से  बड़ा  काम  कर  के  भी  कोई  अहंकार  नहीं  l  काम  दिया  तो  कर  दिया  l   सतत   राम - नाम  का  जप  l   जब  वे  अकेले  ही  लंका  जलाकर  ,  रावण  का  मान - मर्दन   प्रभु  के  पास  लौटे    और  प्रभु   ने  पूछा   कि    त्रिभुवन   विजयी  रावण  की   लंका  को  तुमने  कैसे  जलाया   हनुमान   !  तब  उनने  कहा ---- ' सो  सब  तव  प्रताप  रघुराई   l    नाथ  न  कछू   मोरि   प्रभुताई  l l   हनुमान  जी  व्याकरण  के  पंडित , वेदज्ञ , ज्ञान शिरोमणि , बड़े  विचारशील , तीक्ष्ण  बुद्धि   और  अतुल  पराक्रमी   हैं ,  पर  अति  विनम्र  ,  अहं   जैसे  छू  भी  नहीं  गया  हो   l   सभी  भक्तों  के  वे  आदर्श  हैं  l   तभी  तो  श्रीराम  कहते  हैं --- 'सुन  सुत   तोहि   उरिन   मैं   नाहीं  l   देखेउँ  करि  बिचार  मन  माहीं   ll 

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